फ़रियाद-ए-इश्क़
फ़रियाद-ए-इश्क़
है प्यार जो मुझे तुमसे,
तो इंतज़ार की ताक़त भी हो,
मिलोगी न तुम इतनी आसानी से,
कुछ तो अकेले जीने की आदत भी हो,
जो मिल जाओ किसी मोड़ पे,
तुझसे गुफ्तगू करने की इजाज़त भी हो,
गर फेर जाओ तुम नज़रें,
बस एक तलक नज़र टकराने की इनायत भी हो,
तकते तकते रास्ते बीत गयी कई रातें,
थोड़ी सी आँखों को फुर्सत भी हो,
धड़क रहा है दिल अकेले अर्सों से,
तेरी धड़कन की एक आहट भी हो,
इश्क़ तो करते हैं हम बेइन्तेहाँ,
तेरी तरफ से थोड़ी चाहत भी हो,
समेट रखा है दर्द काफ़ी इस दिल में,
थोड़ी सी दिल को राहत भी हो