अहसास
अहसास
तुम्हारे आने से,
मेरे होने का एहसास होता है,
तुम से बिछड़ कर कहां कोई,
चैन से सोता है,
जब पड़ी तन पर सावन की बूंदें,
तब तुम्हें खोने का एहसास
ज्यादा होता है,
क्यों हम कभी तुम,
और,
तुम कभी हम ना हो पाए,
कागज पर लिखे लफ्ज,
कभी एहसास ना बन पाए,
जब आती है, तुम्हारी याद,
तो गुनगुना लेते हैं,
तुम्हारी यादों को हम अपनी,
सांसों की माला में पिरो लेते हैं,
काश,
सपनों का ऐसा जहां बन पाता,
जहां मैं और तुम का
एहसास खत्म हो जाता,
पर अब तो मुद्दतें हो गई,
यह जाने हुए कि,
तुम्हारे आने से,
मेरे होने का एहसास होता है,
तुम से बिछड़ कर कहां,
कोई चैन से सोता है।