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Sheetal Raghav

Abstract Romance Tragedy

4  

Sheetal Raghav

Abstract Romance Tragedy

एक प्रेम कहानी ऐसी भी !!!

एक प्रेम कहानी ऐसी भी !!!

12 mins
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तृषा क्या हुआ ?

कुछ नहीं।

फिर किस सोच में डूबी हुई है, तेरी तो सगाई पक्की होने वाली है, इस बारे में सोच रही है क्या ?

नहीं वो !

एक्चुअली हां !पता नहीं क्यों अजीब सा लग रहा है। सब ठीक से तो हो जाएगा। ना !पारुल 

हां तृषा क्यों नहीं होगा? सर्वगुण संपन्न जो है हमारी तृषा। क्या बात है मुझे बताओ?

वो, तुझे तो पता है ना राहुल ?

कौन वो ? 

कॉलेज वाला ?

जो अब तेरे साथ काम करता है ?

हां वही। 

पापा ने उसके रिश्ते के लिए मना कर दिया था, और उसने कहा था, वह मेरी शादी कहीं और किसी से नहीं होने देगा। पारुल क्या वह सचमुच ऐसा करेगा ?

तृषा तू परेशान मत हो, ताऊ जी सब संभाल लेंगे। 

सब संभाल लेंगे ना पारुल !

हां सच में।

पापा,हॉल बुक हो गया है। सारे अरेंजमेंट्स हो गए हैं। पर पापा इन लड़के वालों ने धनतेरस का दिन ही क्यों चुना,सगाई के लिए।

हां बे

ट्रिन ट्रिन ट्रिन !

मोबाइल की घण्टी बजती है,

हेलो हां नमस्ते अंकल जी ,जी....जी... मैं पापा को फोन देता हूं। पापा तृषा के ससुराल से फोन है। कोई जरूरी बात करनी है। 

जरूरी बात !

हां पापा यह लीजिए फोन !

जी समधी साहब नमस्कार बताइए। कैसी चल रही है तैयारी ?सब सब कुछ खैरियत से तो है ? 

क्या नहीं हो सकती, परंतु क्यों क्या बात हुई?

ऐसे ही क्या समधी साहब ? सब तैयारी हो चुकी है। सारे रिश्तेदारों को सगाई के विषय में पता है। मैं क्या कहूंगा? सगाई क्यों कैंसिल हो गई ? समधी साहब क्या बात है? बताए ?

नहीं नहीं। यह सब गलत है। मेरी बेटी बिल्कुल निर्दोष हैं। वह सबकुछ झूठ बोल रहा है। समधी साहब सुनिए तो !अरे सुनिए तो !

क्या हुआ तृषा के पापा !

वही जिसका डर था, वह लड़का कहीं उसने तो ?

हां हां वही लड़का हमारी बच्ची.......। अब मैं उसे क्या बताऊं ? 

वह तो खुशी से सगाई की तैयारी में जुटी हुई है। 2 दिन पहले सगाई..........।

"वह तो खुशी-खुशी सगाई की तैयारी में जुटी है"। दो दिन पहले सगाई कैंसिल नहीं.. नहीं....। 

तृषा की मां में बच्ची को क्या मुंह दिखाऊंगा? मैंने ही उसे आश्वासन दिया था। सब कुछ ठीक हो जाएगा और अब मैं ही। कहां है? तृषा, तृषा..... तृषा.... 

हां पापा जी मैं यहां हूं। मैंने सब सुन लिया है। पापा जी आप परेशान क्यों होते हैं? शायद मेरी किस्मत में ही यह सब लिखा था। मुझे पता था। वह मेरे साथ कुछ भी सही नहीं होने देगा। "पापा मेरा क्या कसूर यह लड़के सब कुछ खुद समझ और सोच क्यों लेते हैं? हम लड़कियां क्यों ?इनका शिकार बनती है पापा" ? 

पापा शोभित ने भी मना कर दिया है क्या ? 

हां बेटा !यह उसी की मर्जी है। 

तृषा के पापा अब मेरी बेटी का क्या होगा? अब क्या करेंगे हम लोग ? मेरी बेटी में तो कोई भी दाग और खोट नहीं है। फिर उसकी जिंदगी में यह ग्रहण क्यों तृषा के पापा ? आप सुन रहे हैं ?

जी पापा जी !

जब पांच-छह दिन तृषा वॉक के लिए गार्डन नहीं जाती है। तब रणवीर तृषा का दोस्त पारुल से पूछता है। 

तृषा आजकल वॉक पर नहीं आती। क्या बात है ? उसकी सगाई ठीक से तो हो गई है ना ?कहीं बाहर गई है , वह ऑफिस के सिलसिले में ?

नहीं रणवीर कहीं नहीं है गई है वो। वह घर पर ही है। थोड़ा दुखी है।

दुखी क्यों ? सगाई के बाद तो सब लोग खुशी होते हैं और वह दुखी है। 

दुखी क्यों है ? 

तृषा की सगाई नहीं हुई, रणवीर।

क्यों ?

तुम राहुल को जानते हो ना?

हां, 

जिसके साथ एक बार तृषा अहमदाबाद प्रोजेक्ट के सिलसिले में गई थी। 

हां, वही राहुल 

ओ के, 

तुम्हें कुछ कहने की जरूरत नहीं है पारुल। मैं समझ गया। यही बात आजकल सभी फ्रेंड्स कर रहे हैं। तृषा और राहुल के अफेयर की, कुछ अलग तरह के रिलेशनशिप की बात करते हैं सभी।

क्या बात करते हैं? रणवीर सभी ?

बोलो ना क्या बात है ?

कुछ नहीं पारुल !

पारुल तुम मेरा एक काम करोगी। 

क्या ?

तुम बस तृषा को यह बता सकती हो कि, मैं उसे बहुत पसंद करता हूं। और मै उसे प्यार भी बहुत करता हूं। मेरे पास अभी नौकरी नहीं है, और वह जॉब करती है, परंतु मैं पूरी कोशिश करुगां उसे खुव रखने की।उसे हमेशा खुश रखूंगा। उसके लिए बहुत मेहनत करूंगा।

क्या वह मुझसे शादी करेगी ? कोई जबरदस्ती नहीं है, ना ही कोई जबरजस्ती है। वह क्या चाहती है? बस एक बार मुझे प्लीज बता देना।

पर रणवीर तुम राहुल वाली बात जानते हुए भी तृषा से शादी करना चाहते हो। 

तुम्हे उस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है क्या ? 

किस बात से पारुल ?

जो बात हुई नहीं, उस बात से फर्क क्यों पड़ेगा पारुल?

तुम्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता। 

क्या ?

रणवीर मै तुम से बात कर रही हूं।

किस बात से पारुल? 

जो बात तुम अभी मुझे बता रहे थे उससे। 

राहुल वाली !

मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि जो बात हुई ही नहीं उससे किसी को क्यों और क्या फर्क पड़ता है, पारुल।तुम्हे पता है, पारुल मै बहुत पहले से तृषा से प्यार करता हूं, परन्तु मैने कभी उसे बताया नहीं ! पर आज बहुत हिम्मत करके तुम से बोल रहा हूं।

खैर तुम छोड़ो !

बस तुम एक बार मेरा मैसेज तृषा तक पहुंचा देना। 

मैं तुमसे कल आकर मिलता हूं। 

तृषा ! 

हां,

तुमसे एक बात पूछूं ? 

क्या ?

हां पूछो ना ! तुझे पूछने के लिए कब से परमिशन की जरूरत पड़ गई। 

तुझे रणवीर कैसा लगता है? 

कैसा लगता है ? क्या मतलब ? दोस्त है मेरा, अच्छा लड़का है,।

शादी करेगी उससे !

पारुल ! तेरा दिमाग तो ठीक है ना ? "अभी हफ्ता भर नहीं हुआ, मुझे एक लड़के की बेवफाई की कहानी भुलाने में, और तू दूसरा ही किस्सा लेकर बैठ गई"। चल हट मुझे काम करने दे। 

तृषा, यहां बैठ मेरे पास। मैं, तेरी छोटी बहन से ज्यादा तेरी दोस्त हूं। तेरी तकलीफ मुझसे ज्यादा कौन समझ सकता है ?

अगर नहीं समझ सकता है तो जख्म क्यों कुरेद रही है ? "शोभित को भुलाना मेरे लिए आसान नहीं है"। मैं अभी इस बारे में कोई बात नहीं करना चाहती हूं। तू जा अभी यहां से।

नहीं तृषा ! नहीं जाऊंगी। तुझे यूं अकेला छोड़ कर मैं।

मैंने बहुत मुश्किल से पापा की वजह से खुद को संभाला है पारुल ! "मेरे जख्म भी हरे हैं, भरे नहीं है, मत कुरेद, में रो पड़ूंगी"। 

रोले तृषा ! पर जवाब तो तुझे आज ही देना होगा। जिंदगी किसी का इंतजार नहीं करती तृषा।

पारुल !

अभी हफ्ता भर नहीं हुआ है मुझे शोभित की बेवफाई की कहानी भुलाने में, मत कर तू कुछ भी ऐसा।

हां या ना... तृषा, हां या ना... 

मैं नहीं जानती पर" एक और बार में ना बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगी"। 

तुझे बर्दाश्त करना भी नहीं है। शोभित ने चांद को छोड़कर सारा खुशियों का आसमान छोड़ दिया है।" मेरी बहन को वह सब खुशियां मिलेगी जिसकी वह हकदार है"। किसी भी लडके के कुछ भी बक देने सू हम मे खोट हो जाता है क्या ?

रणबीर को तेरी तरफ से हां बोल दूंगी मै तृषा।

मत कर मेरे साथ ऐसा। एक और बार ना नहीं बर्दाश्त कर पाओगी। अब नहीं।

उसे राहुल के बारे में पता चलेगा तो, वह भी मुझसे नफरत करेगा। मेरा एक ही तो दोस्त है। वह भी खो जाएगा। नहीं पारुल में शादी नहीं करना चाहती ! 

रणबीर से नहीं करना चाहती है। या किसी से नहीं करना चाहती। 

मैं शादी ही नहीं करना चाहती। 

और अगर मैं कहूं, उसे सब पता है। फिर भी वह तुझ से शादी करना चाहता है। तब।

तब भी मैं शादी नहीं करना चाहती। 

मतलब तेरी हां है, हां है ना तेरी तू भी उसे पसन्द ! 

नहीं, मेरी ना है, क्योंकि लड़कियों की कोई ना या हां नहीं होती। वह तो कठपुतली होती है, और सारी जिंदगी किसी ने किसी के हाथ की कठपुतली बनकर ही रह जाती हैं। 

पर तुम नहीं तृषा, "पढ़ी लिखी हो, समझदार हो, नौकरी पेशा अपने निर्णय स्वयं ले सकती हो। ताऊ जी ने भी कभी तुम्हें खुद के फैसले लेने से नहीं रोका"। इस बार मुझ पर भरोसा करके देख लो, बस एक बार 

अगले दिन......

पर वह सब कुछ जानते हुए भी मुझसे शादी करना क्यों चाहता है? पारुल !

सब मुझ पर रहम खाते हैं। वह मुझ पर तरस खाना चाहता है। 

नहीं !तुझसे शादी करना चाहता है, वो ना हीं तृषा वह तुझ पर रहम खा कर या तेरी मजबूरी का फायदा उठा कर तुझ से शादी करना चाहता है और ना ही उसकी कोई जबरजस्ती है, वह तुझसे प्यार करता है। इसीलिए तुझसे शादी करना चाहता है। उसने अपने दिल की बात कभी नहीं बताई और ना ही तूने समझा उसे पर....। पर अब उसने अपने प्यार का इजहार किया है।

अब तू बता तू क्या चाहती है, बोल ना ?

मेरी हां या ना उसे क्या फर्क पड़ता है ?

उसे फर्क पडता है।

लड़कियों की कोई हां या ना नहीं होती पारुल ?

तूने उसे कभी नहीं समझा। सिर्फ शायद एक दोस्त से ज्यादा कुछ नहीं।और शायद उसके मन में भी कुछ नहीं था। पर आज वह सच में तुझसे प्यार करता है, तुझे पसंद करता है, तेरी इज्जत करता है, तुझे इज्जत देता है और तुझे आदर के साथ अना जीवनसाथी बनाना चाहता है। क्या अभी तेरी ना है?

मैं इस समय कुछ नहीं समझ पा रही हूं। पारुल। मुझे कुछ दिन के लिए अकेला छोड़ दे। अभी कोई भी डिसीजन मेरे हाथ में नहीं है क्योंकि अभी जख्मों के दाग वहीं पर है मेरे दिल पर।जो अभी नहीं मिटे हैं, 

अगले दिन

पारुल ! तुमने तृषा से बात की।उसने क्या कहा ?वह मान तो गई है ना।तुमने उसको ठीक से समझाया। तो वह समझ गई है ना। मैं उसे पसंद करता हूं। वह मुझसे शादी करेगी या नहीं करेगी ?तुम कुछ बोलती क्यों नहीं हो ?

रुको तो ! मुझे बोलने तो दो रणवीर।

हां बोलो, 

देखो रणवीर, इस समय तृषा पूरी तरह से टूट गई है। वह कुछ भी समझने की हालत में नहीं है। फिर भी मैं तुम्हें हां कहती हूं, तुम्हें थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा। इतनी जल्दबाजी मत करो, उसे थोड़ा समय दो सोचने और समझने के लिए। मैं तुम्हारा और तृषा का साथ दूंगी। पर तृषा को थोड़ा संभल जाने दो 

ठीक है, पारुल। अगर मुझे सारी जिंदगी भी तृषा का इंतजार करना पड़ेगा तो मैं उसका इंतजार करूंगा। मैं अपनी आखिरी सांस तक उसका इंतजार और उसकी हां का इंतजार करता रहूंगा। अभी मैं चलता हूं।

बाय !

तकरीबन 1 महीने बाद

अरे दुबे जी आप लोग यहां, कैसे आना हुआ है, 

आईये, आईये, कैसे आना हुआ ?

अरे अरे भाई हमारी बिटिया ग्राउंड नहीं आ रही थी तो, हमने और गुप्ता जी ने सोचा बिटिया से मिल आते हैं। इस बहाने आप से भी मुलाकात हो जाएगी। बहुत दिन हुए आपसे मुलाकात नहीं हुई थी। कहां है हमारी बिटिया 

वह ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रही है। 

काफी देर बातचीत होने के बाद 

अरे दुबे जी, कोई अच्छा लड़का आपकी नजर में हो तो बताइएगा। तृषा के लिए।

कैसा लड़का चाहिए आपको।

पढ़ा-लिखा हो, घर बार खानदान अच्छा हो, नौकरी पेशा हो।

शर्मा जी ! लड़का तो है और खानदान भी अच्छा है। एमबीए लड़का पर जॉब की तलाश कर रहा है। 

कहां पर है, यही शहर में है या, दूसरे शहर में। 

अरे आपभी जानते हैं शर्मा जी।

उसे मैं जानता हूं। ऐसा कौन सा लड़का है ? 

अरे वही महेंद्र शर्मा जी का बेटा।

वह जो पॉलिटेक्निक वाले शर्मा जी हैं, उनका बेटा 

हां हां वही।

हां खानदान तो अच्छा है। शर्मा जी से मेरे रिलेशन भी अच्छे थे। जब वह हॉस्टल वार्डन थे। तभी मेरी मुलाकात एक बार उनसे हुई थी तो आप उनसे बात चलाइए।

ठीक है। मैं रिश्ते की बात चलाता हूं। शर्मा जी तो अब रहे नहीं लड़का ही घर में बड़ा है। उसका ही चलती चलावा है। मैं किसी दिन उसे लेकर आता हूं। आपके पास, फिर हम लोग बैठ कर बात करते हैं।

2 दिन बाद 

नमस्कार शर्मा जी।

अरे दुबे जी आइए। आइए।

यह है रणबीर हॉस्टल वार्डन शर्मा जी का बेटा।

आओ बेटा।

नमस्कार अंकल जी!

और घर में सब कैसे हैं मुझे ज्ञात हुआ शर्मा जी नहीं रहे, कब कैसे क्या हुआ था।

और माताजी कैसी हैं, घर पर सब ठीक हैं। मैं बहुत दिनो पहले एक दो बार तुम्हारे पिताजी से मिल चुका हूं। बहुत अच्छे इंसान थे।

क्या हुआ था उन्हे ?

जी कार एक्सीडेन्ट में....।

बेटा तुम्हें दुबे जी ने यहां आने का प्रयोजन तो बताया ही होगा। 

जी अंकल जी, दुबे अंकलजी ने मुझे सब कुछ बता दिया है। मुझे शादी से भी कोई एतराज नहीं है। मैं आपको एक बात और बताना चाहता हूं। मैं तृषा को पहले से जानता हूं। ग्राउंड में वॉक करने के दौरान हमारी मुलाकात लगभग 3 साल पहले हुई थी। 

अच्छा तो तुम पहले से तृषा को जानते हो !

तो तृषा के बारे में तुम शादी के विषय में क्या सोचते हो ?

मुझे कोई एतराज नहीं है अंकल जी!

और तुम्हारी माता जी वह इस शादी के लिए तैयार हो जाएंगी क्या ?

वह भी तैयार है उन्हें अर्थराइटिस का प्रॉब्लम है इसलिए वह यहां नहीं आ सकती। तो मैं आपकी उनसे फोन पर ही बात करवा दूंगा। 

वह सब तो ठीक है। बेटा पर मैं तुमसे एक बात बताना चाहता हूं। मैं कोई भी बात छुपा करना नही चाहता।

मैं कोई बात छुपा कर इस रिश्ते की शुरुआत नहीं करना चाहता। 

मैं सब कुछ जानता हूं अंकल जी। "वही बात ना जिसकी वजह से अभी-अभी तृषा का रिश्ता टूट गया है"। मैं सब कुछ जानता हूं और "तृषा को समझने या जानने के लिए मुझे किसी और का दिया करैक्टर सर्टिफिकेट नहीं चाहिए"। 

वह क्या कैसी है? पिछले 3 सालों से जानता हूं। 

हमेशा लड़कियों के लिए ही करैक्टर सर्टिफिकेट क्यों चाहिए होता है ? तृषा प्रोजेक्ट के सिलसिले में उसके साथ बाहर गई थी। 1 हफ्ते का टूर था। इसीलिए लोग आसानी से उंगली उठा पाते हैं, और जो कुछ लोग कहे उसे मान लेना चाहिए। 

और किसी का कुसूर हो या नहीं हो। लड़कियों को कसूरवार ठहरा कर सजा का फरमान जारी कर देना चाहिए। क्योंकि समाज सिर्फ और सिर्फ लड़कियों पर उंगली उठाता है। 

"मैं ऐसी दकियानूसी सोच का हिस्सा नहीं हूं और नहीं मैं ऐसे किसी सोच को मानता हूं"।

और ना ही मैं ऐसी किसी दकियानूसी सोच पर विश्वास रखता हूं और ना ही मानता हूं और फिर "तृषा जैसी सुंदर सुशील पढ़ी लिखी, समझदार लड़की जो हर कदम समझदारी तो उठाती हूं। मैं उसके लिए ऐसी किसी बात पर भरोसा नहीं करता। उसका सर उठा और हम से आंख मिलाकर बात करना और हमारे बीच में रहना ही उसकी 

सच्चाई का सर्टिफिकेट देता है"। मुझे और कुछ नहीं चाहिए और ना ही मैं कुछ और जानना चाहता हूं। 

परंतु

परंतु क्या.? 

अभी मैं नौकरी सर्च कर रहा हूं। मेरे पास अभी नौकरी नहीं है। मैं सगाई तो अभी करूंगा, परंतु शादी में नौकरी करने के बाद ही करूंगा। 

रणबीर बेटा तुम्हारी माता जी की जो भी डिमांड हो, मैं उसे पूरा करने की भरसक कोशिश करूंगा। जितना होगा अपनी बेटी के लिए करूंगा। क्या तुम्हें यह शादी मंजूर है?

हां अंकल जी डिमांड तो है बस एक ही है, वह है तृषा।और मैं अपने बलबूते पर कमाने की हिम्मत रखता हूं और अपने कमाए हुए धन पर ही मैं तृषा को जीवन की सारी खुशियां और सारा सुख देना चाहता हूं। बस आप मुझे तृषा का हाथ दे दीजिए। मुझे और मेरी माता जी की इसके अलावा और कोई भी डिमांड नहीं है।

एक साइड में खड़ी हुई तृषा सब कुछ सुन रही थी। तृषा तुम आओ ना, मैं आप सभी के सामने तृषा से एक सवाल पूछना चाहता हूं। 

हां, हां बेटा पूछो ना !

तृषा क्या तुम मुझे अपना जीवनसाथी बनाना चाहोगी ? जो सारी उम्र तुम्हें परेशान करें और तुम्हारा ख्याल भी रख सके। बोलो ना क्या तुम्हें शादी के लिए तैयार हो ?

हां हां बेटा बोलो ना, 

तुम क्या चाहती हो, तृषा

हां रनवीर मैं तैयार हूं पर मेरा अतीत !

तुम मेरा आज और आने वाला कल हो बस मै इतना ही जानता हूं, इसके अलावा मै कुछ और जानना हीं चाहता।

क्या तुम मेरा साथ दोगी उम्र भर ? ःःबोलो ना तृषा ? 

हां रणवीर !

और 1 साल बाद तृषा और रणवीर की शादी हो जाती है। आज 15 साल हो गए हैं। एक दूसरे का साथ देते हुए दो बच्चे हैं। उन दोनों के और एक सुखी खुशहाल परिवार है। उन दोनों का।

यही है एक सच्ची प्रेम कहानी


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