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Sheetal Raghav

Tragedy

4  

Sheetal Raghav

Tragedy

सदमा!!

सदमा!!

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यह कहानी है ऐसी वृद्ध महिला की है, जिसने अपने काबिल पुत्र को छोडकर बाकी सभी पर यकीन किया और आखिरी में उनके हाथ लगा तो सिर्फ सदमा।

जब सासू मां को ज्ञात हुआ कि उनका "सारा पैसा उनके सबसे करीबी, जिस पर वह आंखें बंद करके अपने बेटे से भी ज्यादा, यकीन करती थी, गबन कर लिया है"।


सासू मां के दो बेटे हैं और दो बेटियां पर यकीन सिर्फ बड़ी बेटी और पास में ही रहने वाले उनके दोनों बेटों के दोस्त सिसोदिया परिवार के बडे बेटे पर था।

बड़ा बेटा बहू दूर शहर में नौकरी करने के लिए अलग रहते थे। इसी बात का लाभ बड़ी बेटी दामाद और सिसोदिया परिवार ने उठाया ।और सासू मां और हम दोनों पति-पत्नी के बीच मनमुटाव पैदा किया। वह लोग चाहते थे, किसी भी तरह सासू मां, हम दोनों से अलग हो जाएं और वह सारी संपत्ति अपने नाम कर आधा-आधा बांट लें ।


हम दोनों लोग बाहर रहते थे। "देवर भईया और छोटी दीदी वही रहती थी, पर वह दोनों असक्षम थे। सभी बातों को समझने में", जिसका सिसोदिया परिवार द्वारा लाभ उठा कर दिलीप सिह सिसोदिया परिवार द्बारा "लगभग चालीस लाख" का गबन करने में सफल हो गये जिसमे उनका साथ उस परिवार की बडी बेटी और दामाद ने दिया ।"बडी बेटी और दामाद द्वारा घर के सारे गहने चुरा लेने" की बात जब सासू मां को पता चली तो वह बीमार रहने लगी ।चूंंकि यह बात उन्होंने अपने "बेटे और बहू से छुपाई थी। इस कारण वह उन्हें किस मुंह से बताएं"। यह सोचकर सासू मां गुमसुम रहने लगी ।

    

सासू मां की दो बेटे यानि देवर भैया और मेर पति ।" देवर भईया मानसिक तौर पर असमर्थ और छोटी ननद बोलती सुनती नहीं थी अर्थात गूंगी - बहरी थीं" । इसलिए उन दोनों के लिए पैसे और संपत्ति जोड़ने के लालच में सासू मां ने अपने "बडे बेटे को ना बताकर उन्होंने घर खरीदने के लिए अपनी सारी रकम सिसोदिया परिवार के बड़े बेटे के नाम कर दी थी" ।


दिलीप सिहं उसने वह रकम अपने छोटे भाई के नाम कर उसे सूरत में फ्लेट खरीदवा, दिया था। इसका पता जब सासू मां को चला तब उन्होंने उस लड़के दिलिप पर गुस्सा किया ।सासू मां ने घर उनके नाम करने या पैसा वापस करने के लिए कहा, परंतु पैसे का वह अपने भाई के लिए घर खरीदने में इस्तेमाल कर चुका था। तो कहां से लौटाता । इसी गम के रहते मां बीमार हो गई। उस पर भी दिलीप को उन पर रहम नहीं आया ।तो देवर भैया को समझा-बुझाकर सासू मां का इलाज घर पर ही करवाने के लिए राजी कर लिया।


चुंकी "लॉकडाउन था, इसलिए यह लोग भी तैयार हो गए। यह लोग भी तैयार हो गए घर पर ही रख कर सासू मां का ईलाज कराने के लिये" । परंतु बडे बेटे को इसकी कोई सूचना नही दी गई । कंपाउंडर को घर पर ही सासू मां का इलाज कराने के लिए भेज दिया। परंतु इस बीच उसने मां को गलत दवाइयां इंजेक्शन भी दिए, जिसके फलस्वरूप धीरे-धीरे मां का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा। और वह स्वर्ग सिधार गयीं।


"बडे बेटे और रिश्तेदारों के आने से पहले दिलीप ने दवाइयों और इंजेक्शन से भरा थैला " गायब कर दिया।और देवर और दीदी को गायब करने की योजना रखने लगा। इतनी बड़ी घटना में दीदी और जीजाजी ने भी उसका सहयोग किया। सब कुछ बहुत अजीब और अचरज पूर्ण था ।मां ने बेटे को छोड़कर जिस बेटी दामाद और पराये लड़के और उसके परिवार पर आंखें मूंदकर के विश्वास किया था, उसने मां के साथ क्या किया।


पैसों का रिश्तो का धन का जेवर का दिया तो सिर्फ सदमा दिया । किसी पर यकीन करना अच्छी बात है। पर आंखें मूंदकर क्या यह सही है?


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