औरत व्यथा : मरणोउपरांत
औरत व्यथा : मरणोउपरांत
आज सुबह से ही रिद्धिमा कुछ असहज महसूस कर रही थी। बार-बार कुछ अनहोनी होने की आशंका से उसका मन बहुत व्याकुल हो रहा था, परंतु किसी को कुछ भी जताये और बताए बिना वह किसी तरह अपने मन को काम में लगाए रखने की कोशिश कर रही थी।
अंततः अनंत ने पूछा," क्या हुआ आज से पहले तुम्हें इतना व्याकुल नहीं देखा। "
"कुछ भी तो नहीं हुआ है" अनंत आप तो ऐसे ही मेरी चिंता करते हैं। आप ! आप ऑफिस जाओ भी देर हो जाएगी। ऑफिस के लिए ,ऑफिस नहीं जाना है क्या?
अनंत ने हमेशा की तरह उसके माथे को चूमा और ऑफिस जाने के लिए उस से विदा ली, परंतु आज ना जाने सब कुछ क्यों छूटता सा प्रतीत हो रहा था?
आज माथे को अनंत का यूं चूमना जो पिछले 25 सालों से चलता आ रहा था। आज अचानक वह स्पर्श क्यों आखरी सा लग रहा था। कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मन इतना व्याकुल और असहज क्यों है ।वह समझ ही नहीं पा रही थी।
पीछे से आवाज आई दीदी रसोई में कुछ सामान खत्म हो गया है। आप ले आओगे या में जाकर ले आओ रिद्धिमा की कामवाली की आवाज थी।कांता अभी तू दूसरा काम कर ले, सामान मैं ले आऊंगी। थोड़ी देर से बाजार जाऊंगी, लिस्ट बना दे।इतना कहकर रिधिमा अपने कमरे में चली जाती है और थोड़ी देर आराम करने के पश्चात जो लिस्ट कांता ने बनाई थी उसे एक बार कर सर - सरी निगाहों से देखने के बाद बाहर जाने के लिए तैयार हो जाती है।
मार्केट जाने के लिए रिद्धिमा तैयार हो गई और घर से बाहर निकल ही रही थी। तभी ब्रूनो ने उसकी साड़ी का पल्लू कस कर पकड़ लिया। ब्रूनो रिद्धिमा का पालतू कुत्ता है। ब्रूनो भी नहीं चाहता था कि आज रिद्धिमा घर के बाहर जाए ब्रूनो रिद्धिमा।ब्रूनो रिद्धिमा से बहुत प्यार करता है और आज ब्रूनो भी नहीं चाहता कि रिद्धिमा घर से बाहर निकले।
किसी तरह बहला-फुसलाकर रिद्धिमा फुर्ती से बाहर निकल जाती है। वह जैसे ही अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ी एक गमले में लगे हुए पौधे से उसकी साड़ी फस गई। वह अपना पल्लू पौधे से निकाल कर आगे चल ही रही थी कि उसका पैर स्लिप हुआ परंतु उसने वह भी अनदेखा कर दिया और सामान लेने मार्केट की तरह बढ़ गई।
जब सामान लेकर लौट रही थी, तभी उसकी नजर एक छोटे से बच्चे पर पड़ी जो रोड पार करते हुए उसकी कार की तरफ बढ़ रहा था उसने तेजी से गाडी का हार्न बजाया पर बच्चे ने नही सुना ।
उस बच्चे का ध्यान से गाड़ी की तरफ नहीं था। रिद्धिमा ने उसे देखकर अपनी गाड़ी का हॉर्न फिर से बजाया पर बच्चे ने नहीं सुना। उसका शायद ध्यान ही नहीं था। उसे बचाने के लिए रिद्धिमा ने गाड़ी जोर से दूसरी तरफ मोड़ दिया और एक जोर की आवाज आई। रिद्धिमा की गाड़ी एक ट्रक से टकरा गई। रिद्धिमा को अस्पताल ले जाया जाता है। उसके पहले ही उसने संसार को अलविदा कह देती है। उसकी गाड़ी में रखे हुए पर्स से आधार कार्ड मिला जिस पर उसका पता और नंबर लिखा हुआ था। कुछ लोग वह उस पते पर रिद्धिमा को लेकर पहुंचते हैं और उसका शव घर के हॉल में रख दिया जाता है और वह लोग वहां से निकल जाते हैं।
कांता ने हड़बड़ा कर अनंत को घर आने के लिए फोन लगाया। कांता की घबराई हुई आवाज सुनकर अनंत डर गया और घर आने के लिए जल्दी से निकला ।अनंत घर पहुंचा तो रिद्धिमा को इस हालत में देखकर वह बहुत परेशान हो गया , और रो-रोकर कहने लगा। "क्या तुम इसी वजह से सुबह से परेशान थी ?
मैं क्यों कुछ नहीं समझ पाया। "
"इतने समय का साथ था हम दोनों का, और तुम और असहज थी, मैं क्यों महसूस नहीं कर पाया। मुझे माफ कर दो। रिद्धिमा मुझे माफ कर दो।"
अनंत अपने आप को कोस रहा था, परंतु रिद्धिमा तो मृत पड़ी थी। वह जैसे उससे बहुत कुछ कहना चाहती थी।
"मत दोष दीजिए। अपने आपको, मैं ही कुछ समझ नहीं पाई।"देखो अनंत !आप मत रोइए, अभी नीति हॉस्टल से आ जाएगी और मुझे ऐसी हालत में देखकर वह बहुत रोएगी। उसे कसकर अपनी बाहों में ले लेना और संभाल लेना।आज पूरे 6 महीने बाद वह हॉस्टल से घर लौट रही है। कुछ खत मैंने अपनी बेटी के नाम लिखे हैं जो मै पिछले छह महीनो से अपनी बेटी की याद मे लिख रही थी । जिसमें 6 महीनों के प्यार का हिसाब है। व 6 महीनों की बहुत सारी बातें यादें सब उन खातों में है। वह उसे ध्यान से दे देना ।वह मेरे जाने से उदास हो जाएगी। परंतु आप उसे किसी भी चीज की कभी कोई कमी महसूस मत होने देना, और हां जब उसकी शादी करो तब वह हार जो मेरी मां ने मुझे दिया था, उसे जरूर दे देना।
और हां आज ममता भी तो घर आने वाली है। अपनी डिलीवरी के लिए ।आप उसे भी संभाल लेना। उससे कहना भाभी तुम्हारे लिए बहुत कुछ करना चाहती थी, पर शायद उनके नसीब में नहीं था। मैंने उसके और उसके बच्चे के लिए कुछ सामान और सेट बना कर रखा है जो मेरी अलमारी में है। वह निकाल कर उसे जरूर दे देना ।जब ममता की उसके बच्चे के साथ विदाई करो तब उसे ढंग से विदा करना। और जब ममता की और उसके बच्चे की घर से विदाई करो तो ढेर सारा सामान दे देना ।किसी तरह की कोई कसर मत छोड़ना ।ससुराल वालों के लिए उसके लिए और वैभव के लिए ।आप सभी कुछ अच्छे से संभाल लेना ।जो मैं करना चाहती थी। अब मेरे बाद आपको करना है।
सुनो !आप अपने आप को भी संभाल लेना ।ज्यादा मेरी याद में परेशान मत होना और हां शुभम भी अकेडमी से आने वाला होगा। वह तो मुझे ऐसे देख कर खुद को संभाल नहीं पाएगा। छोटा है ना अभी, मेरा लाडला ।उसे अपने सीने से लगा लेना ।समझा देना मां तो साथ रहना चाहती थी। खेलना चाहती थी, हंसना चाहती थी। परंतु ......!वह जब सुबह उठता है, तो रोज सुबह में उसका पसंदीदा मिल्क शेक बना कर देती हूं। आप कांता से कहकर उसे रोज सुबह दिलवा देना।
सुनो माजी की दवाइयां दरवाजे के साइड वाली दराज् में रहती है। मेरी अलमारी में । उन्हें समय पर दे दिया करना ।और हां आप शाम को देर तक बालकनी में मत बैठे रहना ।आपको जुखाम हो जाता है। आपकी शॉल मैंने अलमारी के बाई तरफ रखी है। जरूर से औड लिया करना ।अभी सर्दी का मौसम है। ठंड लग जाएगी ।
और हां सुनो !
मुझे ज्यादा याद मत करना। अपना जी काम में लगा लेना। मैं आपके पास नहीं हूं, परंतु सदैव आपके साथ रहूंगी। आप के दर्द में दुख में आपके होठों की हंसी में आपकी परेशानी में हर जगह मैं ही तो देखो, मत रो में जा नहीं पाऊंगी और रुक भी नहीं पाऊंगी। यह तो मेरा पार्थिव शरीर है।मैं तो आप ही के पास हूं अनंत।आपकी यादों में आपके सीने में ।
देखो ! अब मुझे जाने दो ।मुझे बहुत कष्ट हो रहा है।
देखो वो लोग मुझे लेने आए हैं। मुझे जाने दो ।मुझे तकलीफ हो रही है। आप ऐसे रोओगे तो, मैं जा नहीं पाऊंगी। अनंत आप सुन रहे हो, मेरी बात।
देखो मुझे छोड़ दो ।मुझे जाने दो ।देखो ... अब मेरे जाने का वक्त हो रहा है। मुझे एक बार आपका चेहरा मन भर के देख लेने दो.आप अपनी इस घर के प्रति सारी जिम्मेदारी पूरी तरह से निभाना, माजी और बच्चों का ख्याल रखना और हां ममता का भी ख्याल रखना ।मेरे जाने के बाद ।और हां मुझे वही साड़ी पहनाना जिसे पहन कर मैं अपने घर से विदा होकर आपके घर में आई थी।
सुनो ! अब मुझे जाने दो ।विलाप मत करो ।मुझे जाने दो अनंत मुझे जाने दो ।अब और नहीं ।मत और मत रोको अनंत !मुझे जाने दो ।बांधों मत ।
अब मुझे जाने दो।।
अपनी जीवन लीला समाप्त होने के बाद भी एक पत्नी घर के फर्श पर अपने निर्जीव शरीर के साथ लाचार पड़ी है। परंतु मन में बहुत सारे सवाल है।
रिद्धिमा भी लाचार हैं। परंतु बनने और अनंत के लिए बहुत सारे सवाल छोड़ कर गई है कि उसके जाने के बाद उसके घर का ख्याल कौन रखेगा।उसके बच्चों की जिम्मेदारी कौन उठाएगा। माजी का ममता का कौन ध्यान रखेगा और स्वयं अनंत अपना ध्यान कैसे रख पाएगा परंतु?जब कोई इस तरह अचानक जाता है तो बहुत सारे सवाल अपने पीछे अपने घर वालों के लिए छोड़ जाता है
सभी गाड़ी चालकों से निवेदन है कि जब भी वह गाड़ी चलाएं तो अपने आसपास कृपया जरूर देख लें कि उनकी गाड़ी की चपेट में कोई एक परिवार तो नहीं आ रहा, क्योंकि उनकी गाड़ी की चपेट में एक जिंदगी नहीं अपितु एक पूरा परिवार आता है।