Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Sheetal Raghav

Tragedy Inspirational Others

3  

Sheetal Raghav

Tragedy Inspirational Others

कन्यादान

कन्यादान

4 mins
434


आज मेरी "बेटी की शादी का मंडप था।" यही सोचकर एक पिता का मन बहुत व्याकुल हो रहा था।

सब ठीक से हो तो जाएगा ना। मैंने सांची की मां से कहा।

तुम ऐसे ही चिंता करते हो, सब ठीक से होगा सारे इंतजाम इतने अच्छे से किए हैं तुमने क्यों कुछ खराब होगा? डर को अपने मन से निकाल दीजिए और तैयारी में जुट जाओ, सांची के पापा। यह कहकर सांची की मां अपने काम में लग गई


ज्यों - ज्यों शाम नजदीक आ रही थी, मन एक अनजाने से डर से व्याकुल हो रहा था।

खैर !

जैसे-तैसे मन को समझा बुझाकर मैं बेटी से मिलने उसके कमरे की तरफ चल दिया। मैं जैसे ही कमरे में गया सांची को एकटक देखता रहा। बड़ी प्यारी सी लग रही थी। मेरी छोटी सी सांंची ।सांंची कल तक मेरी उंगली पकड़ कर चलती थी। वह अपने छोटे छोटे हाथों से मुझे जकड़ लेती थी ।

नहीं जाऊंगी कहीं भी पापा तुम्हें छोड़कर। अक्सर वह यही बोलती थी।

यह बेटियां कितनी जल्दी बड़ी हो जाती हैं। विदाई की घड़ी इतनी जल्दी क्यों आ जाती है ? अभी तो मन भर लाड भी नहीं लडा पाया था, बेटी से ।

सोच कर एक पिता का मन रूआसा हो गया।

आओ पापा !

अंदर आओ।

सांची ने पुकारा मैं जैसे ही अंदर गया। बेटी मेरे गले आ लगी। बोली पापा आप ने मां को नहीं बताया। वह लोग और पैसे मांग रहे हैं।


नहीं बेटा ! अभी तक नहीं बताया।

पर पापा इतने पैसे कहां से आएंगे। इतना सारा इंतजाम कैसे होगा। आपने उनसे मना क्यों नहीं किया। मुझे ऐसी शादी नहीं करनी जिसमें आपको अपना सब कुछ गिरवी रखना पड़े। अभी भी वक्त है पापा ! उन दहेज के लालची लोगों को मना कर दो।

मैंने बेटी को समझाया। सारा इंतजाम हो गया है। वह फिक्र ना करें। पर बेटी पिता की हर परेशानियां भाप लेती हैं।

सांची बोली पापा मुझे आपने पढ़ाया लिखाया। इस काबिल बनाया कि मैं अपने पैरों पर खड़ी हो सकूं।

फिर यह दहेज क्यों?

मैंने उसे समझाया अच्छा घर और अच्छा वर बड़ी मुश्किल से मिलता है। तू चिंता मत कर सब हो जाएगा। उसके सर पर हाथ रख कर मैं वहां से उठ कर चल दिया। सांंची मुझे एकटक देखती रही।

शाम को बारात आने का वक्त भी नजदीक आ गया। मेहमानों का आना शुरू हो गया था।

मध्यम संगीत के साथ सभी कार्यक्रम यथावत रूप से चल रहे थे। बैंड बाजों की आवाज के साथ बारात दरवाजे पर आ गई।

सभी लोग दरवाजे की रस्म के बाद पंडाल में आ गए थे ।और चाय कॉफी की चुस्कियां ले रहे थे। कुछ चाट खा रहे थे और कुछ लोग मिलने मिलाने में व्यस्त थे। लड़के के फूफाजी ने और पिताजी ने मुझे एक तरफ बुलाया, और पूछा ! शर्मा जी पैसों का इंतजाम हुआ या नहीं ? 

देखिए। अगर नहीं हुआ होगा ? 

तो बारात वापस चली जाएगी।

मैं बिना किसी भी दोष गर्दन झुकाए। सब कुछ सुन रहा था। कोई जवाब ना था।

बड़ी जद्दोजहद के बाद भी पूरे पैसों का इंतजाम ना हो पाया था।

वह कहते रहे मैं सुनता रहा।

थोड़ी देर बाद उन्होंने लड़के को बुलवा भेजा और कहा बेटा यह शादी नहीं हो सकती।

क्योंकि सांची के पिता से जो इंतजाम करने के लिए कहा गया था, वह नहीं हुआ था।

लड़के ने नीचे गर्दन कर ना मैं अपनी सहमति जताई ।

और वह लोग चल दिए। मेहमानों में कानाफूसी शुरू हो गई। बारात लौट जाएगी तो सांची से विवाह कौन करेगा।

मैंने डर कर अपनी पगड़ी उनके कदमों में रख दी।

कहीं से सांची को यह बात मालूम पड़ी। वह भी दौड़ते हुए आ गई और पगड़ी उठाकर बोली, जो एक पिता की इज्जत सिर्फ चंद पैसों के लिए नहीं कर सकते।

वह मेरी इज्जत क्या करेंगे।

अब मैं अपने पिता के सम्मान के लिए इस शादी से इनकार करती हूं।

मैं बहुत गिड़गिड़ाया।

बेटी को समझाया पर ना बेटी मानी और ना ही लड़के वाले।

मैंने रुदन भरे स्वर में भीड़ में आए लड़कों से पूछा,

क्या इस भीड़ में कोई भी ऐसा नहीं जो मेरी सुकोमल सुयोग्य बेटी से विवाह कर सके? क्योंकि आज अगर यह बारात मेरी बेटी को लिए बिना चली गई तो मेरी बेटी का क्या होगा ?

थोड़ी देर बाद एक युवक भीड़ को चीरते हुए आगे बढ़ा और निवेदन कर उसने कहा,

अगर आप मुझे अपनी बेटी के योग्य समझते हो और अगर आपकी बेटी मुझे अपना जीवन साथी बनाने के लिए तैयार हो तो, मुझे कृपा कर बताएं क्योंकि आप दाता हैं, जो जीवन भर पाली हुई धरोहर को मेरे हाथों में देंगे इसलिए यह आपका निर्णय होगा।

मैंने प्यार भरी नजरों से सांची की तरफ देखा।


सांची ने अपनी आंखों से सहमति जताई और पूरे रीति-रिवाज के साथ सांची का विवाह संपन्न हो गया ।

और मेरी बेटी उन लालची दरिंदों की आंखों के सामने विदा हो गई।


शायद यही सच्चा और सही कन्यादान है।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy