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Sheetal Raghav

Children Stories

4.8  

Sheetal Raghav

Children Stories

गोलू की रंगो वाली पिचकारी

गोलू की रंगो वाली पिचकारी

5 mins
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गोलू 7-8 साल का छोटा सा बच्चा है। गोलू आज बहुत खुश था। जल्दी उठकर तैयार होकर मां के पास जाता है।"मां मैं होली खेलने जा रहा हूं। क्या तुम मेरे लिए होली के रंग लाई हो ? या फिर मैं भूल गई। ऐसा कहने वाली हो। देखो तुम सुन लो मां ! मैं आज बेवकूफ नहीं बनूंगा। आज मैंने सब कुछ याद करके रखा है। गोलू के पास बाल्टी भी है और पिचकारी भी है। बस रंग दे दो तो मजा आ जाएगा माँ । मैं भी मोहल्ले के कालू और बिल्लू के साथ जाकर मजे से पिचकारी चला लूंगा। अब मुझे रंग दे दो ना मां !" गोलू बड़े प्यार से अपनी मां से बोल रहा था।

गोलू को पिछली बार होली पर उसकी मां ने एक छोटी सी रंगों वाली पिचकारी लाकर दी थी, परंतु उसे रंग लाकर नहीं दिए थे। तू छोटा है यह कहकर गोलू की मां ने उसे टाल दिया था। इस साल वहां पहले से तैयार बैठा था कि मां उसके लिए रंग ला कर दे देगी या नहीं लाई होगी तो रंगों के लिए पैसे तो दे ही देगी। "मां मुझे पैसे दे दीजिए, मुझे देर हो रही है।"

"मैं रंग नहीं लाई हूं। तू रंग से मत खेल तू छोटा है। अभी रंग से खेलेगा तो तेरी नाजुक चमड़ी खराब हो जाएगी।" माँ ने गोलू को टालते हुए कहा ! गोलू मुंह फुला कर बैठ जाता है,और पीठ करके मां की तरफ से बैठे-बैठे कुछ बुदबुदाता है। "कभी कहती है छोटा हूं, कभी कहती है उधम मत करो, बड़ा हो गया है।

मेरी मां भी कितनी भोली और बुद्धू भी है", 


उसको कुछ पता ही नहीं चलता । और नाराज होकर पास ही के खेत में लगे आम के पेड़ के नीचे जाकर बैठ जाता है, और मन ही मन भगवान जी से प्रार्थना करता है। भगवान जी आज मैं कालू और बिल्लू के साथ होली कैसे खेलूंगा। वह सब मेरा मजाक उड़ाएंगे। ऐसा सोचकर थोड़ी देर वहां अकेले बैठता है, परंतु छोटा सा उसका बाल मन कब तक अकेला बैठता । अपनी पिचकारी में पानी भरकर वह अपने दोस्तों के साथ होली खेलने चला जाता है।


गोलू अपनी पिचकारी के पानी से मोहल्ले के बच्चों को भिगोने लगता है। तभी मोहल्ले के बच्चे गोलू का मजाक उड़ाते हैं। लो आ गया अपनी पानी की पिचकारी लेकर । उसमें से गट्टू, वह आकर बोलता है। जा भाग जा बिना रंग के हमें पानी से मत भीगा। जब तेरी मां तुझे रंग ला कर दे दे तब आ जाना ।

गोलू कहता है, "मां कहती है, मैं छोटा हूं। अभी रंग से खेलूंगा तो मेरी चमड़ी खराब हो जाएगी।" तब मोहल्ले के सारे बच्चे उसके ऊपर हंसते हैं और कहते हैं "छोटा है ना अभी तू, तो जा घर जा और जाकर मां की गोदी में बैठ जा, भाग जा यहां से।"

गोलू को मन ही मन बहुत बुरा लगता है और वह वापस आम के पेड़ के नीचे जाकर बैठ जाता ह ।और उदास हो जाता है। वह मां के पास कैसे जाए? मां के पास तो पैसे ही नहीं है। मां रंग अब कहां से लाकर देगी? 


आज तो घर पर दाल भात भी नहीं बनेगा। सोचकर गोलू दुखी हो जाता है। इतने में एक गिलहरी आ जाती है और गोलू को तंग करने लगती है। गोलू उसे भगाता है। कहता है तू मुझे ही तंग क्यों करती है? जा गट्टू के पास जाकर उधम मचा तब तुझे वह बताएगा । और उसको भगाने के लिए उठता है, परंतु गिलहरी पेड़ पर चढ़ जाती है। तब बोलू की नजर पेड़ पर लगे कच्चे आम पर पड़ती है और गुस्से से पेड़ पर पत्थर मार मार कर बहुत सारे कच्चे आम जमीन पर गिरा देता है और फिर शांति से पेड़ के नीचे वापस जाकर बैठ जाता है।


थोड़ी देर बाद जब गोलू का मन शांत होता है तब वह जमीन पर गिरे कच्चे आमों को देखता है। अरे यह मैंने क्या किया ? कच्चे आम तोड़ दिए। फिर उनको लेकर एक जगह पर रख देता है और उनको निहारता रहता है। उसे एकदम से ख्याल आता है कि वह कच्चे आमों को जाकर अगर बेच देगा, तो उसे कुछ पैसे मिल जाएंगे और होली के रंग भी आ जाएंगे। वह घर पर दौड़ कर जाता है और एक डलिया ले आता है और कच्चे आम डलिया में डालकर बेचने चल देता है। 


आम बेचने के लिए वह धूप में इधर-उधर भटकता है, और कच्चे आम घर घर जाकर बेच आता है। उसे पैसे मिलते हैं, तो वह खुश हो जाता है । और एक दुकान पर जाकर होली के रंग खरीद लेता है, और थोड़े से दाल चावल भी वह खरीद लेता है।


दाल चावल जाकर वह अपनी मां को दे देता है। मां पूछती है दाल चावल कहां से आए तो वह आम वाली बात मां को बता देता है।और गोलू आम वाली बात मां को बता कर फिर रंग का पानी पिचकारी में भरकर मोहल्ले के बच्चों और कालू बिल्लू के साथ होली खेलता ह,और गट्टू पर पिचकारी में से रंग का पानी डाल डाल कर उसे रंग बिरंगा बिल्ला बना देता है। 


जब वह होली खेलकर घर आता है तो, माँ उसे नहला धुला कर दाल भात खाने को देती है। गोलू दाल भात खा कर और होली खेल कर बहुत खुश हो जाता है। गोलू अपनी पिचकारी को साफ करके पिचकारी के ही संग सो जाता है। आज गोलू की पिचकारी पानी वाली नहीं "गोलू की रंगो वाली पिचकारी थी"। 

सच्चा मन सच्ची प्रीत सच्ची लगन और सच्ची हिम्मत यही तो है सही मायने में असली होली हैप्पी होली। गोलु की ओर से आप सभी को होली की शुभकामनाए।


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