अन्नपूर्णा
अन्नपूर्णा
माथे पर कुमकुम की बिंदी ...
और बेपरवाही से लपेटे बाल..
साक्षात अन्नपूर्णा लग रही थी..वो..!
मैं बहुत देर से देख रहा था, उसको...
और शायद गौर से भी, आज पहली बार
रसोई से ड्रांइग रूम तक दौडते,
सबकी फरमाइशे पूरी करते..!
मम्मी टोस्ट जरा कुरकुरा सेंको ना,
बहु, चाय एकदम ठंडी हो गयी,
एक कप ओर बना दो..
मेरी सुबह की दवाई तो दे दो.. बहू..!
अब मुझसे बैठा नहीं गया..
मैने बाबूजी की दवाई दी ...
और सीधे रसोई में चला आया ,
सबका नाश्ता तो हो ही गया ...
चलो अब हम दोनों खाते हैं.. !
पहले आप खा लिजीए ना..
मैं अभी आती हूं, थोड़ा समेटकर ,
समेट लेंगे बाद में , तुम चलो टेबल पर..
मैं चाय बनाकर लाता हूं...गरमागरम..!!