बढ़ती उम्र
बढ़ती उम्र
ता उम्र की कहानी है,
ता उम्र का तकाजा है,
कहीं दुःख कम
तो कहीं पीड़ा ज्यादा है,
तेरी सोच से परे है,
ये तमाम हालात जो खड़े है,
इसी जमीं पर रंक था जो,
इसी जमीं पर राजा है,।
ता उम्र की कहानी है,
ता उम्र का तकाजा है,
कहीं दुःख कम
तो कहीं पीड़ा ज्यादा है,
तेरे हाथ में नहीं है,
वो तेरे साथ में नहीं है,
तू बस एक कठपुतली है उसकी,
और समय उसका बाजा है,
ता उम्र की कहानी है,
ता उम्र का तकाजा है,
कहीं दुःख कम
तो कहीं पीड़ा ज्यादा है,
अपना तेरा क्या है,
ये देह भी पराई है,
ना साथ ले के जायेगा,
ना साथ तेरे आई है,
छोड़ देगा एक दिन,
बस कुछ समय का साझा है,
ता उम्र की कहानी है,
ता उम्र का तकाजा है,
कहीं दुःख कम
तो कहीं पीड़ा ज्यादा है,