"छोड़ दिये वो मित्र"
"छोड़ दिये वो मित्र"
छोड़ दिए हमने आज वो मित्र
बिखरे हुए थे, जिनके तो चरित्र
ऐसे मित्र से तो दुश्मन अच्छे है
जो नहीं फैलाते, गन्ध छद्म इत्र
मिटाएं हमने आज उनके चित्र
जिनके मन बसे गलत चलचित्र
ऐसे दोस्त छोड़ दिए, आज हमने
जो दोस्ती निभाने में है, बड़े दरिद्र
जिनसे ऊंचा न किसी का चरित्र
उन हनुमानजी को बना ले, तू मित्र
सदा साथ देंगे, वो प्राणदाता सौमित्र
हृदय से पुकार आओ मारुति, मित्र