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चल आ एक हो जाएँ फिर से

चल आ एक हो जाएँ फिर से

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चल आ एक हो फिर से ,

भूल दुनिया के गम .... 

खो जायें फिर से ,

चल आ एक हो जाएँ फिर से |


चल आ इस ज़िस्म को अब तेरी ही आस ,

मिलके एक - दूजे के हम ....

ज़िस्म को महकायें फिर से ,

चल आ एक हो जाएँ फिर से |


यूँ तो कहने को हम दोनो ही हैं सुलझे हुए ,

फिर भी रहते हैं कितने उलझे हुए ,

क्यूँ ना अपनी उलझने सुलझायें फिर से ?

चल आ एक हो जाएँ फिर से |


ये तन्हा रात आज तेरा ही संगम माँगे ,

ये धड़कने भी अब तेरा ही दर्पण माँगे ,

इस दर्पण से एक - दूजे को बहलायें फिर से ,

चल आ एक हो जाएँ फिर से |


तेरे साथ की तलब होती है मुझे जब भी कभी ,

मैं मूंद पलकों को देती हूँ तुझे आवाज़ तभी ,

आज उस आवाज़ में खो जायें फिर से ,

चल आ एक हो जाएँ फिर से ||


 



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