दादी सब जानती हैं
दादी सब जानती हैं
चेहरे की झुर्रियों में छिपा, जिंदगी का सार है,
मेरी दादी के पास हर प्रश्न का ज़वाब है,
बालों की सफेदी में छुपा तज़ुर्बे का भंडार है,
सुनाती जब भी वह कोई कहानी है,
होती उसमें जीवन की रवानी है,
कहती दादी यही एक बात है-
"हो जिस घर में नारी का सम्मान ,
साक्षात् होते वहां भगवान हैं।
बेटा-बेटी बराबर इंसान हैं,
दोनों ही तो सृष्टि के कर्मधार हैं ,
दो शिक्षा और संस्कारों का उपहार,
तो देखो! कैसे महकेगा तुम्हारा घर- संसार,
संघर्ष पथ को गर करना है कम
करो परिवर्तन को नमन, अवरोधों का करो दमन।"
जीवन के देखे हैं दादी ने कई रंग,
बस देती हैं वह एक ही मंत्र,
धरती में रहकर आसमां को छू लो,
जिंदगी रेत है, मुट्ठी में खुशियों को भर लो।