दिखावा और दुनिया
दिखावा और दुनिया
ऐनक पहन के दुनिया देखी, असली वाली दिखी नहीं।
लेंस भिड़ाते जीवन बीता, फोकस का कुछ पता नहीं॥
झूठी शान पे हुई लड़ाई, असली का कुछ पता नहीं।
गम मे सारा जीवन बीता, खुशी कहाँ है? पता नहीं॥
दौड़ भाग के दुनिया देखी, सही से कुछ भी दिखा नहीं।
झूठे हँसते चेहरे देखो, भाव कहाँ हैं? पता नहीं॥
बिन मतलब की लिखी कहानी, किरदार कहीं भी दिखा नहीं।
बातें कर दी बड़ी बड़ी, सच-झूठ का पता नहीं॥
प्रेम की धुन में दुनिया पागल, त्याग किसी में दिखा नहीं।
और, हर तन को इक राधा चाहिए, मन में मोहन दिखा नहीं॥
ऐनक पहन के दुनिया देखी, असली वाली दिखी नहीं...
लेंस भिड़ाते जीवन बीता, फोकस का कुछ पता नहीं....