(होली गीत)
(होली गीत)
होरी खेलन आजा रे रसिया
ओ रसिया फागुन में
सखियाॅ॑ आयीं संग में लायीं
भर पिचकारी रंग,
मैं बोली ना ना ना रंगना
रंगूॅ॑गी श्यामल रंग,
सखी री मैं रंगूॅ॑गी श्यामल रंग
ओ रसिया फागुन में।
कुंज गलिन में ढूॅ॑ढा तुझको
बरसाने में देखा,
मथुरा, वृंदा, गोकुल, काशी
कहाॅ॑-कहाॅ॑ न उडीखा,
तोहे कहाॅ॑-कहाॅ॑ न उडीखा
ओ रसिया फागुन में।
तू छलिया तेरे ढंग निराले
मैं सीधी-सादी गोरी,
सब रंग दीने तूने नटखट
मीरा रह गई कोरी,
तोरी मीरा रह गई कोरी
ओ रसिया फागुन में।
ग्वाले रंग गये गोपिन रंग गयी
रंग गयी राधा रानी,
प्रीत के रंग में रंग जा बेदर्दी
कोरी चुनरिया धानी,
मोरी कोरी चुनरिया धानी
ओ रसिया फागुन में।
खड़ी अटरिया राह निहारुॅ॑
थक गए मोरे नैन,
एक झलक दिखला जा बैरी
मिल जावेगो चैन,
मोहे मिल जावेगो चैन
ओ रसिया फागुन में।