जिसमे तेरा अक्स नहीं!
जिसमे तेरा अक्स नहीं!
हम वो नजारा क्या देखें
जिसमें तेरा अक्स नहीं !
एक तेरे जाने से ठहरा,
है आसमां और जमीं,
दिल नादां है समझे यही,
कि तू है यहीं कहीं,
नजरें है कि सफर में रहती,
ढ़ूंढ़ती है तुम्हें जर्रा जर्रा,
हम वो नजारे क्या देखें,
जिसमे तेरा अक्स नहीं !
पलकें तेरा रस्ता देखे,
इन आँखों की आदत तु,
तुझमें हीं हूं रब को पता,
पूजा तू इवादत तू,
इस जहां से उस जहां तक,
तुम सा कोई सख्स नहीं,
हम वो नजारा क्या देखें,
जिसमें तेरा अक्स नहीं !
कितने समंदर उमड़ रहें हैं,
न जाने इन आँखों में,
दिन का उजाला क्या देखें हम,
जब रात घना इन आँखों में,
नैनो में बादल है छाये,
बरसने को पर अश्क नहीं,
हम वो नजारा क्या देखें,
जिसमे तेरा अक्स नहीं !