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Manju Saini

Romance

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Manju Saini

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खिड़की से झाँकता चाँद

खिड़की से झाँकता चाँद

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आज भी तेरी प्रीत की यादो के मन मे

दिल की खिड़की से यादो का चाँद झांकता हैं

मेरे मन की खिड़की से चाँद झांकता हैं

तेरे प्रेम की शीतल बयार सा


चाँद को जब भी खिड़की से निहारा मैने

तेरे प्रीत की यादो की दीवानी बनी मैं

आज भी तेरी प्रीत की यादो के मन मे

दिल की खिड़की से यादो का चाँद झांकता हैं


तेरे प्रीत की यादो को साथ लिए मैं

आज भी चाँदनी रातों में गुनगुनाती हूँ

आगोश में उस वक्त मैं आपने को पाती हूं


सहलाया हो आपने ही मुझे पास आकर

आज भी तेरी प्रीत की यादों के मन में

दिल की खिड़की से यादो का चाँद झांकता हैं

यादों के अस्तित्व में ही जीती हूँ मैं


शीतल यादों से तुम आते हो ख्यालो में मेरे

अदृश्य सी चांदनी बन कर अंदर मेरे

पल पल छिटक जाती हैं यादो की चांदनी 

आज भी तेरी प्रीत की यादों के मन में


दिल की खिड़की से यादों का चाँद झांकता हैं

मन की खिड़की में यादो का चांद रोशन

आकर देख तो प्रीत की चाँदनी बनकर

लेकर ही जियूंगी तेरी यादों की शीतल यादें

अधूरा ही सही प्रेम शीतल चांदनी सा मुझमें।


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