महामारी का दौर
महामारी का दौर
क्या खता हुई है ऐ प्रकृति,
सारी रौनक चली गयी।
इस महामारी मे हम सबका,
जीना हो गया है मुश्किल।
विपदा से मन भर सा गया,
अब इंतजार है खुशियों का।
हे प्रभु!इस विपदा को दूर करो,
ये फासला अब सहन न होता।
कितनो ने अपनो को खोया,
जो बचे हैं कम से कम बचे रहें।
ये वक्त बड़ा ही पीड़ादायक है,
हे प्रभु!अब तुम्हारा ही सहारा है।
इस कोरोना जैसे दानव ने ,
तो अपनो से दूर कर डाला है।