मनमोहन की बजती मुरलिया...
मनमोहन की बजती मुरलिया...
नाच नचाए रूप सलोना,
नाचे देखो ताल तलैय्या...
मधुर-मधुर मधु पान कराए,
मनमोहन की बजती मुरलिया....
तुम हो स्वामी प्रेम नगर के,
दे दो दर्शन भगवन मेरे ।
सब में दिखता रुप तुम्हारा,
पतझड़ मैं तुम सावन मेरे ।।
फीकी-फीकी मेरी बोली,
बोल सुनाए कुक कोयलिया..
मधुर-मधुर मधु पान कराए,
मनमोहन की बजती मुरलिया....
नैनों की प्रिय भाषा समझो,
अधर प्यास से तड़प रही हैं ।
भू भू के तुम रोम रोम में,
पलक अभी फड़क रहे हैं ।।
प्रेम जाल के सब हैं कैदी,
कैद कराए वही बहेलिया...
मधुर-मधुर मधु पान कराए,
मनमोहन की बजती मुरलिया....
ध्वनि सुने जब उस मुरली की,
सुध-बुध खोई ग्वालन सारी ।
पुष्पित पल्लव प्रेम पिपासी,
अनिमेषी हों मालन सारी ।।
खुले नैन हैं प्रेम गली में,
सखी मरोड़े देख ॲंगुलिया...
मधुर-मधुर मधु पान कराए,
मनमोहन की बजती मुरलिया...