"नारी शक्ति है"
"नारी शक्ति है"
"नारी शक्ति है"
नारी तो अबला नही शक्ति है
नारी तो भगवान की भक्ति है
राक्षसों का विनाश करती है,
नारी तो महिषासुर मर्दिनी है
ईश्वर बाद,स्त्री ऐसी शक्ति है
नारी सृजन कर देती,रक्ति है
जिसने हमको जन्म दिया है
सृजनकर्ता मां रूपी उक्ति है
नारी तो जोहर की वो अग्नि है
जो राख करती शत्रु कुदृष्टि है
मातारानी का हर रूप स्त्री है
स्त्री मातारानी की विभक्ति है
जिसने नारी का सम्मान किया
उसने खुद को आसमान किया
नारी के अपमान ने ही करवाई,
महाभारत सी प्रलयंकारी,वृष्टि है
नारी अगर पतिव्रता सावित्री है
शत्रुओं के लिए लक्ष्मीबाई दृष्टि है
एक नारी अबला नही शक्ति है
नर के लिए,नारी,मां,बहिन,पत्नी,
अनेक रूपों की वो तो समष्टि है
नारी खुद को कमजोर न समझे,
वो तम मिटानेवाली सूर्य रश्मि है
दिल से विजय
विजय कुमार पाराशर-"साखी"