फिर से बसन्त
फिर से बसन्त
तुमने पुकारा हम आ गए,
तुमने बुलाया हम आ गए।
नींद के ख़ुमार में सपने हज़ार थे,
रात के शबाब में, नशे हज़ार थे।
तुमने पुकारा हम आ गए ,
तुमने बुलाया हम आ गए।
फूलों की बहार लिए
महकता बसन्त ला दिए।
चमन में फूल हज़ार थे
सितारे नभ में हज़ार थे,
फूल फूल में ख़ुशबू थी,
हवा में नई सुवास भरी थी।
धरती ने सरसों की पीली साड़ी पहनी,
पीले अमलतास के झुमके पहने।
हरित पल्लवों बीच पला,
पीला कनेर बहुत खिला।
प्रकृति नटी सँवर रही
बसन्त आगमन पर,
हम तुम भी हिल मिल चलें,
सब ओर सुख शान्ति रहे।