"रोशनी"
"रोशनी"
अंधकार तो बहुत है, इस जिंदगी में
फिर भी रोशनी ढूंढ रहे, इस जिंदगी में
अगर भीतर दीप जी रहा हो, बेबसी में
बाह्य रोशनी का क्या फायदा जिंदगी में
यदि भीतर चराग जिंदा खुद की खुदी में
फिर जुगनू रोशनी बहुत गम की घड़ी में
जिसने भीतर जोत जलाई, घनी निशी में
वो बना फिर ध्रुव तारा, फ़लक जमीं पे
जो आखिर तक लड़ा, अमावस निशी से
उसने फैलाई रोशनी, पूनम चंद्र चांदनी से
आओ लड़े, अपनी अंधेरे जैसी कमी से
फिर कैसे न होंगे, रोशन, अपनी खुदी से
जो लड़ा मृत्यु जैसे विचार खुदखुशी से
उसने ढूंढी खुशी रोशनी, आत्म वर्तनी से