सहारा
सहारा
तुम मासूम से बेटे बन कर
देते थे जीने का सहारा
मेरी बांह पकड़ कर लेते
बचपन में तुम मेरा सहारा।
अतिशय प्रेम था तुमसे मुझको
पल भर तुझसे दूरी मुश्किल
सिर्फ तेरे भरण पोषण,
शिक्षण के लिये
जाता था मैं काम पर।
तेरी उच्च से उच्चतर उन्नति के लिए
सारे जोड़ तोड़ और प्रबंध किये
तूने खूब तरक्की कर ली और
जग में प्रतिष्ठित खुद को किया।
तेरी खुशी में खुश होता रहा मैं
आखिर तेरा पिता ही तो था मैं
मगर जब मैं जीर्ण ज़रा हुआ तो
तुने मुझे एक बोझ ही समझा।
सबसे अधिक मुझे ज़रूरत है
मैं ठीक से चल अब नहीं पाता
तुम गैरों के भरोसे मुझे छोड़ कर
पीठ दिखा कर क्यों जाते हो।
ये ज़ुल्म नहीं करना बेटे,
मुझे खुद से दूर नहीं करना कृप्या ,
मैं तो कुछ दिन का मेहमान हूँ
तुम उम्र भर फिर न पछताना।