Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

sonu santosh bhatt

Romance

4  

sonu santosh bhatt

Romance

तू क्यों आता है लौट के जाने के

तू क्यों आता है लौट के जाने के

5 mins
364


तू क्यों आता है लौट के जाने के लिये

कैसे खुद में थाम लूँ, बसा लूँ खुद में तुझे

क्या करूँ उपाय तो बता तुझे पाने के लिये

मेरी नजरो के कश्मकश में घिरता है तेरा चेहरा

मासूमियत उसकी काफी है मुझे रिझाने के लिए

तेरे आंखों के काजल की तारीफ करूँ

या खो जाउँ इनमें कहीं, चाहत जगाने के लिए

तू क्यों आता है लौट के जाने के लिये

वो तेरे आने की खुशी भी सह नही पाते

ना जाने का गम बर्दाश्त होता है।

दिल आजकल जागता तेरे ख्यालो से है

और रातों को तेरे ख्यालो में खोकर सोता है।

दहलीज में खड़ा हूँ मैं, क्यो तेरे दिल के

मौका ढूंढ रहा खिड़की खटखटाने के लिए

तू क्यों आता है लौट के जाने के लिये

मैं गुमनाम आशिक ही सही, बदनाम तो नही हूँ।

मेरा मुझमें भले कुछ नही, खोया तुझमें कहीं हूँ।

एक तड़प मेरी धड़कनों में है, जो धक ढक करती है

और एक बात छिपी दिल मे, बाहर आने से डरती है।

कौन कहता है कि मैं तेरे लिए कुछ नही कर सकता

तू इशारे तो कर, तैयार हूं खातिर तेरे मर जाने के लिए

तू क्यों आता है लौट के जाने के लिये

कुछ बिखरी तेरी यादें, धुंधली सी कोई तस्वीर

पास मेरे दोनो है, और है एक अजनबी सी तकदीर

तकदीर में क्या लिखा है, मैं नही जानता

हो सकता है खुदा ने लिखा हो साथ दो पल का

लिखा तो क्यो लिखा?, लिखकर मिटाने के लिए

तू क्यों आता है लौट के जाने के लिये

नजर ना लगे तुझे, तेरा हुश्न ऐसा ही बरकरार रहे।

जिसे तू चाहे दिलो जान से, उसे तुझसे भी प्यार रहे।

कोशिश ना करना दिल तोड़ने की, ताकि सदा ऐतबार रहे

जितना खुश इस बार आई नजर, उतनी ही हर बार रहे।

इतना सोचकर में सोचने लगूं, मुझे क्यो मिली तू

इश्क के गुमनाम गालियां दिखाने के लिए

तू क्यों आता है लौट के जाने के लिये

मौसम जिंदगी के बेईमान, बदलते रहे हर पल

जिस तरफ आंधियों ने धकेला इश्क की

कदम मेरे उसी तरफ दिए थे चल

और फिर तूफानों ने क्यो रुख मोड़ा था।

सूखे पत्तों सी उड़ चली आशियाने से दूर खुशियां मेरी

क्यो इस कदर मुझे किसी ने तोड़ा था

फिर क्यो आई तुम खुशियां बनकर

क्यो लाये जज्बात नए, सावन की तरह बरसाने के लिए

तू क्यों आता है लौट के जाने के लिये

मुझे खुशी है इस बात की, कि तू खुश है

मोहब्बत में अक्सर ऐसी खुशियां मिला करती है

फिर भी दिल रोता है अन्दर ही अंदर

खुद से ही ना जाने क्यों शिकवा- गिला करती है।

रोता है दिल टूट टूट कर रात दिन

और चेहरा मुस्कराता है सबको दिखाने के लिए

तू क्यों आता है लौट के जाने के लिये

कुछ लम्हों में जिंदगी गुजर जाती है

और हम सोचते है जिंदगी बहुत बड़ी है

बुढापे में जाकर खोला संदूक का ताला किसी ने

मां के आंचल से पेट भरते उसकी एक तस्वीर पड़ी है।

कब अपने पैरों में चला, कब दौड़ पड़ा वो

कुछ पता ना चला, मानो जिंदगी वहीं खड़ी है।

आज जाकर एहसास हुआ उसे

कल जन्म लेकर रोया था, अब मरेगा रुलाने के लिए

तू क्यों आता है लौट के जाने के लिये

अपनी जिद अपने पास रखो तुम

जिद्दी में भी था किसी जमाने मे

तब जिंदगी कुछ और हुआ करती थी

खुशियां नापी नही जाती थी किसी पैमाने में

अब जिंदगी का मतलब कुछ और होता है

ठहरती नही ये ना इसका कोई ठौर होता है।

अब भी मैं जिद करता हूँ खुद से

उसकी गलतियां और तोहफ़ा-ए-गम भुलाने के लिए

तू क्यों आता है लौट के जाने के लिये

वैसे मैं कोई खास नही हूँ,

वो खुश है क्योकि उसके पास नही हूँ।

उसे अब तकलीफ नही होती मेरी तकलीफों से

जो था कभी, अब वैसा एहसास नही हूँ।

ना जीने मरने का वादा लिया कभी

ना ही कसमें खाई जिन्दगी भर साथ निभाने के लिए

तू क्यों आता है लौट के जाने के लिये।

चलो भूल जाओ, क्या रखा इन फ़सानो में

ये सब मेरी अपनी बातें है।

मैं दिन भर सोया रहूँ या जाग लूँ रात भर

दिन भी अपने, अपनी रातें है।

गलती मेरी ख्वाहिशों की है, कैसे किसी को कुछ कहूँ

अब मेरे ख्वाब जो बने फिर रहे, कैसे उन बिन रहूँ

खैर जाने दो, ह्म्म्म….बस भी करो

मुझे तो जिन्दगी मिली ही सपने सजाने के लिए

तू क्यों आता है लौट के जाने के लिये।

एक उम्मीद कायम थी जलते दिये सी मेरी

एक रोशनी चमक रही थी आंखों के अंधेरे कोने में

और झिलमिलाहट सी थी दीपक के लौ में,

एक तड़प थी जो माँ को होती है औलाद के उसके रोने में

मैंने उस दीपक की बैचेनी को देखकर एक सवाल किया

क्या मजा है? खुद को छोड़ किसी और का होने में

क्या मजा है? उजाला करके खुद अंधेरों के संग खोने में

क्या मजा है? किसी की याद को जरिया बनाकर सोने में।

दीपक मुस्कराया और बोला मुस्कराते हुए

मत पूछो ऐसे सवाल मेरी रुह को तड़पाने के लिए

प्यार किया नही जाता, लफ़्ज़ों में जताने के लिए

मुझे प्यार है अंधेरों से, और मेरे आते ही वो चले जाते है

खेलते आंख मिचोली वो हमे तड़पाने के लिए

हम भी पूछते है उन्हें तुम्हारी ही तरह

तू क्यों आता है लौट के जाने के लिये।

तू क्यों आता है लौट के जाने के लिये।

मैं रूठ तो जाउँ उनसे

क्या वो आएंगे हमे मनाने के लिए

मैं हो जाऊं पत्थर दिल कुछ क्षण

क्या वो आएंगे हमे पिघलाने के लिए

मैं बन जाऊं दीपक भी उनके खातिर

मगर क्या वो आएंगे हमे जलाने के लिए

बस यही सोच सोच के मैं खुद से परेशान रहता हूँ।

जाने अनजाने में किस्से तुम्हारी, मेरी जान कहता हूँ।

कभी हकीकत में ना सही, सपने में ही आ जाओ

ख्वाबो में ही आ जाओ दिल लगाने के लिए

तू क्यों आता है लौट के जाने के लिये।

वैसे मैं मुसाफिर हूँ राहों का

हर रास्ते चलता हूँ, हर डगर चलता हूँ।

मंजिल के बारे में सोचा भी नही

फिर भी चलता हूँ, हाँ मगर चलता हूँ।

तुम मान लो मुझे हमराही इन तमन्ना में

मान के तुम्हे हमसफर चलता हूँ।

सही रास्ता ना दिखाना चाहो तो भी

कभी आ जाओ मुझे रास्ता भटकाने के लिये।

तू क्यों आता है लौट के जाने के लिये।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance