उठ खड़ा हो...
उठ खड़ा हो...
अपनी कमियों को ले उठ खड़ा हो
अपनी ग़लतियों से सीख उठ खड़ा हो
किये होंगे अतीत में तूने भी कई बड़े काम
उन घटनाओं से ऊर्जा ले उठ खड़ा हो।
दिन में तारों का कोई महत्त्व नहीं
अंधेरा है जीवन में तो,
तारों जैसे तिमिर में ही चमकने के लिए उठ खड़ा हो।
शैलपथ में प्रस्तरों से सोपान निर्माण हेतु उठ खड़ा हो।
मिट्टी पैरों में भी आती,
पर चाक पे आ के घड़ा हो।
अपनी शक्ति जानकर तू केंद्र पर आकर खड़ा हो
क्या पता जलधि के कितना,
गर्भ में मोती पड़ा हो।
जाएगा जितना गहन में
पा के मोती उठ खड़ा हो।।