अब जब मैं खुद माँ बनी तो मेरी आँखें भी कुछ ढूँढती रहती हैं उन्हीं सब चीजों में..... अब जब मैं खुद माँ बनी तो मेरी आँखें भी कुछ ढूँढती रहती हैं उन्हीं सब चीजों म...
मैं पुस्तकालय की अस्तित्वहीन किताब हूँ। अपने योग्य पाठक की तलाश में। मैं पुस्तकालय की अस्तित्वहीन किताब हूँ। अपने योग्य पाठक की तलाश में।
नहीं दिखाई देती तो बस वो जिजीविषा से भरी रूह नहीं दिखाई देती तो बस वो जिजीविषा से भरी रूह
पोपला मुंह खाता रहता पान दरवाजे पर देती आवाज पोपला मुंह खाता रहता पान दरवाजे पर देती आवाज
यही मेरे अनमोल जीवन का पनपता व्यापार है. यही मेरे अनमोल जीवन का पनपता व्यापार है.