saurav ranjan

Crime Thriller

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saurav ranjan

Crime Thriller

हत्या की गुँथी (भाग -1)

हत्या की गुँथी (भाग -1)

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आज रंजीत मन ही मन ख़ुश था क्योंकि आज रविवार होने के कारण उसकी छुट्टी थी। आज उसके सभी साथी क्रिकेट खेलने उसके घर के पास वाले मैदान मे आ रहे थे। वह वहाँ पंहुचा तो देखा उसके सभी दोस्त पहले से पहुंचे हुए हैं , वे सभी दो घंटे तक क्रिकेट खेलते हैं फिर आकर सब एक कोने मे हंसी ठिठोली करने लगते हैं। रंजीत एक सीआईदी इंस्पेक्टर था, वह अपने माँ और भाई के साथ पटना मे रहता था। इस नौकरी मे होने के कारण उसे छुटियाँ कम ही मिल पाती थी इसलिए जब भी मिलती थी तो वह अपने साथियों के साथ इसका पूरा आनंद उठाता था। वह अपने साथियों के साथ बैठ कर हसीं मज़ाक कर ही रहा था तभी उसका फ़ोन बजना चालू हो जाता है।ये फ़ोन उन सब के बॉस रवि का था, फोन से बात करने के बाद वह मुँह बनाते हुए अपने दोस्तों को कहता है लो दोस्तों फिर से हो गया छुट्टी का सत्यानाश सर ने हमसब को शाम में ऑफिस बुलाया है।

प्रभात (मुँह बनाते हुए )-"क्या हुआ उन्होंने कुछ बताया नहीं "।

रंजीत -"नहीं उन्होंने कुछ ज्यादा नहीं बताया बस बोला की तुम तीनों आज शाम को ऑफिस आ जाओ और निशा को भी बता देना।

सोनु - "ठीक है सर तो हमें अब अपने घर जा कर थोड़ा आराम कर लेना चाहिए ऐसे भी बहुत थकावट लग रही है"।

सोनु सब इंस्पेक्टर है और उनदोनों का जूनियर है , उसकी बात सुनकर वे सभी लोग अपने घर चले जाते हैं। घर पर आकर रंजीत खाना खाने लगता है तभी उसकी माँ उसे अजित के बारे में पूछती है क्युकीं उसका दो दिन से कुछ पता नहीं था। अजित उसका बड़ा भाई था और अपने छोटे भाई के विपरीत काफ़ी मनचले मिजाज का था। वह अपनी ही दुनिया में रहता था।पिता को सोलह वर्ष की आयु में खोने के बाद वह नशे का आदि हो गया था वह धीरे धीरे गलत रास्ते पर जाने लगा था और उस समय एक दिन लड़ाई झगड़े में फँस कर उसे एक वर्ष जेल में रहना पड़ा था। वह भी बचपन से ही जासूसी में काफ़ी रूचि थी और वह भी पुलिस में जाना चाहता था पर पढ़ाई में बर्बाद होने के बाद उसका ये सपना पूरा नहीं हो पाया।

अजित में जासूसी की हुनर कूट के भरी हुई थी उसकी नजरें काफ़ी पैनी थी और सोचने का शक्ति भी कमाल का था उसने बचपन में भी अपने भाई रंजीत के साथ मिल के पुलिस को अपने परोसी के घर में हुई चोरी में चोर तक पहुँचा कर सबको चौका दिया था। उन दोनों को जोड़ी कमाल की थी बस मुसीबत तो अजित के ख़राब लत थें।

इसलिए जब भी कोई पेचीदा गुथी सामने आती थी तब रंजीत की पूरी टीम उसे अपने साथ ले जाते थें और उसने कई गुथियों को सुलझा दिया था पर एक दिन नशे के हालत में उसकी प्रभात से लड़ाई के बाद वह इनसब झमेलों से दूर ही रहता था।आजकल वह अपने भाई की मदद से एक ट्रक खरीद कर बिज़नेस में लग गया था।

रंजीत माँ को चिंता ना करने को कहता है वह अपने भाई के सवभाव से भली भांति परचित था और अपने कमरे में जाकर सो जाता है।उसकी नींद खुलती है और घड़ी के तरफ देखता है तो दो घंटे बीत गए थे, उसकी माँ की काफ़ी जोर से बोलने की आवाजे आरही थी ऐसा लगता था किसी पर गुस्सा रही हो, बाहर निकल के देखता है की उसका भाई कुर्सी पर बैठा मोबाइल चला रहा था और माँ की बातों को सुनकर धीमा मुस्कुरा रहा था।रंजीत तैयार होता है और फिर ऑफिस पहुंच जाता है, उसके सभी साथी वहाँ पहले से मौजूद थे तभी अचानक ए सी पी रवि वहाँ आते हैं और उनसब को बताते हैं की -

रवि "आज सुबह मुझे ऊपर से फ़ोन आया है की बेगूसराय के सोलपुर गाँव में बाहुबली जिलाध्यक्ष की बहन को घर में घुस कर रात में हत्या कर दी गयी है और आज दस दिन के बाद भी पुलिस को कोई सफलता ना मिलता देख इस केस को हमें दिया गया है और अपराधियों तक जल्दी से जल्दी पहुंचने का आदेश है क्युकी जिले में काफ़ी गंभीर माहौल है और सभी को आशंका है की कहीं खुनी खेल ना चालू हो जाये।

रंजीत -"सर हमें कब रवाना होना है वहाँ के लिए"?

रवि -"तुम तीनों निशा के साथ कल सुबह ही रवाना हो जाओ और मुझे इस पर जल्दी रिपोर्ट देना चालू करो"।

प्रभात -"ठीक सर हम सब कल सुबह वहाँ पहुंचकर आपको इस केस पर पुलिस की अब तक के क्या रिपोर्ट है वो सब बताएँगे "।

रवि -(रंजीत की ओर देखकर )"अभी तक जो जानकारी मिली है उसके अनुसार ये हत्या काफ़ी रहस्मई तरीके से उस लड़की के कमरे में घुस के किया गया है। इसलिए अपने भाई को साथ में जरूर ले लेना तुम दोनों के साथ होने से ही आधा गुथी तो ऐसे ही सुलझ जाती है"।

रंजीत "सर आप तो जानते हैं की आखिरी बार उसने क्या किया था, जिसके लिए आपने उसे डांटा भी था और अब सर वो तो इन चीजों से दूर ही रहता है।उसने एक लारी खरीद लिया है।

रवि (मुश्कुराते हुए )- "अरे !भई अभी तक तुमने अपने भाई को नहीं पहचाना तुम्हे क्या लगता है की वो हमारे साथ उन थोड़े पैसों के लिए जाता था जो हम अपने खबरियों के रूप में उसे देते थे क्युकी आज के पहले उसके पास कोई काम नहीं था बिलकुल नहीं तुम्हारे भाई को जासूसी का नशा है और वह जरूर जायेगा तुम्हारे साथ तुम तो बस बात करा दो उससे"।

रंजीत अपने भाई को फ़ोन करता है और रवि से उसकी बात कराता है दोनों में कुछ देर बात होती है उसके बाद रवि फ़ोन काट के रंजीत को दे देता है

रवि (मुस्कुराते हुए )- "मेरा अंदाजा बिलकुल सही था वह अपने एक क्लाइंट की मीटिंग जो की परसो शाम में है उनसे मिल के वह अगले दिन ही तुम्हे वहाँ मिलेगा"।

अगली सुबह वे सभी पूरी तैयारी के साथ वहाँ के लिए रवाना हो जाते हैं.....

 प्रिये पाठकों आपको अगली भाग में पता चलेगा की आखिर उस लड़की की मौत की गुँथी क्या थी और कैसे दोनों भाइयों ने इसे सुलझाया। इस भाग में मैंने बस आपको इस कहानी के पात्रों से अवगत कराने का कोशिस की है ए तो बस एक केस है आगे भी बहुत से गुँथीया दोनों भाई मिलकर सुलझाते रहेंगे जिसका आप सभी पाठक यहाँ आकर लुत्फ़ उठाते रहिएगा। इसलिए इस कहानी के पात्रोंं से आपको अवगत कराना मैंने जरुरी समझा।



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