Ram Binod Kumar

Inspirational Thriller

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Ram Binod Kumar

Inspirational Thriller

जीतेंगे जमाना

जीतेंगे जमाना

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देश में चारों ओर गम का माहौल है। एक नई बीमारी गलित रोग से लोगों में त्राहि-त्राहि मची हुई है। यह बीमारी बहुत तेजी से फैल रही है। चार दिनों के अंदर करीब आठ सौ लोग इसके शिकार हो चुके हैं। इस बीमारी में कोई भी दवा असर नहीं कर रही है। पड़ोसी देश निजामिस्तान मैं भी इस बीमारी के तेजी से फैलने की खबर सुनने को मिल रहा है। परंतु वहां की सरकार ने इस बीमारी की एंटी डोज खोज लेने की बात कर वहां की जनता को संयम बनाए रखने की बात कह रही है।

आज के चार दिन पहले,

ब्रेकिंग न्यूज #

लंदन से उड़ान भरकर भारत आने वाली एयर इंडिया की विमान MM1 को उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद ही आतंकवादियों द्वारा हाईजैक कर लिया गया है। दुश्मन देश की आतंकवादी संगठन 'जैश-ए-निजाम 'ने विमान अपहरण की जिम्मेवारी स्वीकार किया है। लेकिन दस घंटे गुजरने के बाद भी, उस विमान को उन लोगों ने कहां रखा है, इसकी कोई खोज-खबर नहीं मिली है।

यह खबर सुनकर पूरे देश में सबकी नजरें विमान की खबर पर ही टिकी हुई है। उस विमान में सवार सभी यात्रियों के परिजनों, रिश्तेदारों और भारत सरकार की गृह विभाग में मातम का माहौल छाया हुआ है। सभी सुरक्षा एजेंसियों को सावधान कर दिया गया है।

निजामिस्तान का गृह मंत्रालय

" इस कलम को देखिए ! यह केवल कलम ही नहीं, हमारे लिए तलवार और तोप से भी बढ़कर है। हमने सुना था, 'कलम की ताकत तलवार की ताकत से बड़ी होती है।' परंतु आज तक हमें यह अच्छी तरह समझ में नहीं आती थी। आज हमने इसे सही साबित कर दिखाया है। इस कलम को ध्यान से देखिए। इसके ऊपर जो प्लास्टिक की क्लिप लगी है, इसके ऊपरी भाग पर लोहे का चमकता हुआ आलपीन के माथे जैसा एक पॉइंट भी है। यह सच में आलपीन का ही सिर है। आप इसे अपने नाखून से पकड़ कर ऊपर खींचेंगे तो एक ऑलपीन बाहर निकलेगा। पर सावधान ! इसे अपने शरीर की किसी भी अंग में चुभाना बिल्कुल मना है।

अब इस आलपीन को ध्यान से देखिए ! मैंने इसे इस कलम के क्लिप के अंदर से निकाला है। यह केवल एक आलपिन नहीं, हमारे दुश्मन देश के नागरिकों का काल है।" 

निजामिस्तान के गृह मंत्री शेख निजाम की बातें उसके मंत्रिमंडल के अन्य लोग बड़े ध्यान से सुन रहे थे ‌

उसने फिर से कहना शुरू किया, " इस आलपीन के भीड़-भाड़ में किसी व्यक्ति को चुभो देना है। अगर वह व्यक्ति बिल्कुल जल्दी में भी इस चुभे हुए आलपिन को निकाल कर फेंक भी देता है, तो भी वह व्यक्ति गलित रोग से बच नहीं पाएगा। आलपिन चुभने के तुरंत बाद ही उसके शरीर में खुजली मचने लगेगी । उसके बाद अड़तालीस घंटे का समय पूरा होने के बाद ही वह गलित रोग से पूरी तरह ग्रसित हो जाएगा। इसके बाद उसके लिए इस बीमारी का कोई इलाज नहीं होगा। तब वह अपनी इस बीमारी से अन्य लोगों को कोरोना महामारी की तरह ही संक्रमित करता रहेगा।

इसका संक्रमण केवल उस मरीज से दूसरे व्यक्ति द्वारा खुली हाथों से स्पर्श से ही हो जाएगा। जब तक वहां की सरकार इसके कारण और इलाज के बारे में समझ पाएगी तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। अधिकांश जनता मौत के मुंह में समा चुकी होगी। उसी समय हम भी अपने देश में इस बीमारी के फैल जाने का झूठा दुष्प्रचार करेंगे। इसके लिए अपने देश लोगों को घरों के अंदर बंद रहने को कहकर झूठी एडिट किए हुए समाचार का प्रसारण कराएंगे। दो दिन बाद ही इस बीमारी का एंटी डोज खोज लेने की बात अपने देश और दुनिया की लोगों को बताएंगे।

इस आलपीन को एक ऐसे रसायन में बूझाया हुआ है,जिसकी एक मिलीलीटर की लाखवें भाग की मात्रा भी एक मानव शरीर के अंगों को अड़तालिस घंटे के भीतर ही गला-गलाकर गिराने में सक्षम है। हमारे वैज्ञानिकों ने इसका सफल परीक्षण आदमकद बनमानुषों पर आजमाया है। और एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि हमारे कर्मठ वैज्ञानिकों ने इस बीमारी का एंटीडोज बनाने में भी सफलता प्राप्त कर लिया है।

आलपीन चुभने या इस बीमारी से संक्रमित होने के चौबीस घंटे के अंदर ही हमारे एंटीडोज से इलाज संभव होगा। फिर हम मनमानी कीमत पर भारत को इसका एंटीडोज बेचना शुरु करेंगे। जब वह इस बीमारी के कारण हर तरह से परेशान होगा तब हम उस पर आक्रमण करके उस पर अपना आधिपत्य जमा लेंगे। इस तरह हमारा गजवा-ए-हिंद का मिशन पूरा हो जाएगा। किसी को इस विषय में कोई सवाल पूछना हो तो पूछ सकते हैं ?" 

तभी एक व्यक्ति खड़ा होकर कहने लगा, " जनाब ! माना अब हमारे पास यह जैविक हथियार हो गया, परंतु हम इसे एक साथ भारत में कैसे भेजेंगे ? इसके लिए हमारे पास क्या योजना है ?"

इसका बंदोबस्त पहले ही हो चुका है। हमारे जैश-ए-निजाम के जांबाज सिपाहियों ने इस समस्या का हल कर दिया है। एयर इंडिया के एक विमान MM1 को हाईजैक करके आज ही निजामिस्तान लाया गया है। उस विमान के करीब पांच सौ यात्रियों में पचास हमारे जैश-ए-निजाम के स्लीपर सेल के सुसाइड बॉम्बर्स भी हैं। उन्हें अपनी जान की परवाह नहीं होती है। हम अपने इन पचास सुसाइड बॉम्बरों की निगरानी में करीब ढाई सौ यात्रियों को विमान के साथ भारत भेज देंगे। तब वे लोग आलपिन चुभने का अपना काम पूरा कर लेंगे।" 

" लेकिन जनाब हम उन हिंदुस्तानी यात्रियों को उनके देश क लोगों को ही आलपिन चुभोने पर कैसे राजी करेंगे ?"

" इसीलिए तो हम सारे यात्रियों को नहीं भेज रहे हैं । हम उनमें कुछ महिलाओं और बच्चों को यहीं रोक लेंगे। उनसे यही शर्त होगी कि वे जब अपना काम पूरा कर लेंगे,तब दो दिन बाद उनके परिवार की महिलाओं और बच्चों को भारत भेजा जाएगा। यात्रियों को हम हालपीन से होने वाली गलित रोग की संक्रामक बीमारी के बारे में कुछ भी नहीं बताएंगे। जिसके कारण वे सब अलपीन चुभोने के नाम पर अधिक ना-नूकर नहीं करेंगे।"

" परंतु ऐसा करने पर क्या भारत सरकार को यह शक नहीं होगा, कि केवल कुछ ही यात्रियों को क्यों भेजा गया ? महिलाओं तथा बच्चों को क्यों रोक लिया गया ?" एक ने सवाल किया।

" हां जनाब ! ऐसा शक होना वाजिब होगा।"

" तो इसका उपाय यह है कि विमान के यात्रियों को छोड़ने के बदले अपनी कोई मांग रखी जाए। हम उनसे उनके यात्रियों को छोड़ने के बदले में सोना की मांग भी कर सकते हैं।"

" जी जनाब ! यह ठीक रहेगा,क्योंकि अभी भारत में हमारा कोई बड़ा आतंकी नेता तो बंद ही नहीं है। उनसे यात्रियों के बदले में गोल्ड ले लेना ही ठीक रहेगा।"

गृह मंत्रालय द्वारा सारी बातें तय होने के बाद विमान यात्रियों से महिलाओं और बच्चों को अलग करके केवल पुरुष यात्रियों को,जिनमें पचास 'जैशे-ए- निजाम' के स्लीपर सेल के सुसाइड बॉम्बर्स आतंकी यात्री भी शामिल थे, उन सबको एक स्थान पर इकट्ठा करके उन्हें कलम और उसके क्लिप के ऊपर लगी हुई आलपीन के बारे में बताया गया। सबके पासपोर्ट से उनके नाम और पते की डिटेल दर्ज की गई और उन्हें ऐसा न करने पर इसके अंजाम बुरा होने की बात कहकर धमकाया गया। महिलाओं और बच्चों को आलपीन चुभाने की कार्य के अंजाम देने के बाद दो दिन बाद भारत भेजने की बात बताई गई।

किसी भी स्थिति में अपनी बातें भारत सरकार के किसी भी सुरक्षा एजेंसी को बताने पर अंजाम बुरे होने की बात कही गई। आतंकवादियों की बात सुनकर सभी यात्री डरे हुए थे।

सारी बातें अच्छी तरह समझाने और डराने-धमकाने के बाद यात्रियों को भारत भेजने की बात तय हुई।

आतंकवादी संगठन जैश-ए- निजाम ने विमान के यात्रियों को छोड़ने के बदले एक सौ किलोग्राम सोने की मांग रखी थी। तब तक भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने विमान लोकेशन का पता कर लिया था। भारतीय सेना द्वारा सीधी कार्यवाही के तहत उसी समय निजामिस्तान की राजधानी निजामाबाद के उस हवाईअड्डे को भारतीय सेना ने अपने लड़ाकू विमानों से घेर लिया।

आतंकवादियों औल वहां की सरकार पर दबाव डालकर पुरुष यात्रियों के साथ महिलाओं और बच्चों को भी बंधक बनाए गए स्थान से बरामद करके भारत लाया जाने लगा।

विमान में ही सभी यात्रियों को सुरक्षा के घेरे में लेकर उनके साथ हुए व्यवहार की बात की पूछताछ की जाने लगी, तो यात्रियों ने एक स्वर से आलपीन वाला पेन देने और उस अलपीन को भारत में नागरिकों को चुभाने के लिए कहने की बात स्वीकार किया। यह सब सुनकर भरतीय सेना और इंटेलिजेंस के अधिकारियों के कान खड़े हो गए।

तत्काल ही सभी पुरुष यात्रियों से उनका पेन अपने कब्जे में लिया जाने लगा। सभी अपने अपने पेन अधिकारी को वापस कर रहे थे। सबके पैन में आलपीन मौजूद होने की अच्छी तरह जांच की जा रही थी। पूर्व के प्रशिक्षण से प्रशिक्षित जैश-ए- निजाम के स्लीपर सेल के सुसाइड बॉम्बर यात्रियों ने अपने-अपने पेन से आलपीन निकालकर उस आलपीन को अपने वस्त्रों में छुपा कर दूसरे हालपीन को पेन में रिप्लेस करना चाहा, जिसमें कुछ लोग पकड़े गए। इस पर कईयों ने अपनी-अपनी आलपीनें निकालकर झट से अपने सह यात्रियों को चुभो दिया। उस यात्री और सुरक्षाकर्मी ने भी उसके ऐसे कार्य के जवाब में आलपिन निकालकर वापस उसे भी फिर से चुभो दिया और उसे गन पॉइंट पर ले लिया गया। विमान के यात्रियों और सुरक्षाकर्मियों में खलबली मच गई ।

जल्द ही ऐसे कार्य करने वाले उन सुसाइड बॉम्बरों को निशाने पर ले लिया गया। कुछ ही देर में आलपीन चभ जाने वाले लोगों के शरीर में खुजली मचने लगी थी। विमान में आपातकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई।

विमान भारत आ गई। संदिग्ध लोगों को हिरासत में ले लिया गया। पीड़ित लोगों को इलाज और बाकी लोगों को भी स्वास्थ्य जांच करने के लिए क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया था। 

पीड़ित लोगों की हालत में सुधार नहीं हो रहा था। सत्तर लोगों में खुजली वाली लक्षण दिखाई दे रहा था। इनमें तीस वे संदिग्ध लोग थें, जिन पर अपने सहयात्री को आलपिन चुभाने का आरोप लगा था। 

दो दिन बाद ही पता चला, पड़ोसी देश निजामिस्तान में भी बीमारी तेजी से फैल रही है। और वहां की सरकार ने अपने देश में लॉकडाउन लगा दिया।

चार दिन बीतने पर उस गलित बीमारी से सभी सत्तर लोग बुरी तरह पीड़ित हो गए थे। इसके साथ-साथ हॉस्पिटल के डेढ़ सौ कर्मचारियों और उनके चार सौ के करीब परिजनों में बीमारी फैल गई थी। बीमारी का संक्रमण अब भी बढ़ रहा था।

चार दिनों के बाद निजामिस्तान की सरकार ने एंटीडोज खोज लेने की घोषणा कर अपने देशवासियों को संयम बनाने के लिए संबोधित किया। कुछ दिन बाद वहां की सरकार अपने देश से बीमारी को पूरी तरह से खत्म हो जाने की बात कह रही थी। वह बहुत ही महंगी कीमत पर भारत को दवा देने की पेशकश कर रहा था। भारत में बीमारी बढ़ती जा रही थी और वह परेशान सा लाचार होकर मुकदर्शक बना हुआ था।

भारतीय वैज्ञानिक मरीजों में रोग के लक्षण मिलने के दिन से ही इसकी दवा की खोज में लगे हुए थे। आलपीनों के परीक्षण एवं सतत प्रयोग के बाद वे इसके एंटीडोज बनाने में सफल हो गएं। अपने रसायन विज्ञानियों के अथक प्रयास से भारत सरकार ने बहुत जल्द ही इस बीमारी पर नियंत्रण पा लिया। एक बार फिर निजामिस्तान कि योजना पर पानी फिर चुका था। 

कुछ दिन बाद भारतीय सेना ने ड्रोन हमले के द्वारा निजामिस्तान के सभी आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया। भारत की जनता 'जय हिंद' के साथ-साथ पुकार रही थी, 'हम जीतेंगे जमाना !'


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