जीवन के नवरंग (सफेद)
जीवन के नवरंग (सफेद)
नौ देवियों के रूप में पहली देवी, इस जहाँ की जीवित शक्ति हमारी माँ को प्रणाम है ।
नवरात्रि का पहला दिवस माँ शैलपुत्री के नाम है।
सफेद रंग शांति और पवित्रता का प्रतीक है। पवित्रता आखिर है क्या ? पवित्रता को परिभाषित कैसे करेंगे । इंद्र द्वारा धोखे से छली गई अहिल्या को भी पवित्र नहीं माना गया (आज मानते है, पर राम ना आये होते तो क्या उनका उद्धार होता? दंड तो अहिल्या को मिला ना)। पाँच पतियों की पत्नी द्रौपदी पवित्र मानी जाती है। यहॉं तक कि रावण की पत्नी मंदोदरी और बाली की पत्नी तारा को भी पवित्र माना गया है । तो क्या यह समाज है, जो सुनिश्चित करता है कौन पवित्र है कौन नहीं या हमारे विचार ? और पवित्र लोगों में पुरुषों का नाम क्यों नहीं आता क्या सारे ही पुरुष पवित्र होते हैं या कोई भी पवित्र नहीं होता? चलिए आज की कहानी पढ़ते हैं ।
"दखिए भाई साहब जवान लड़का है । गलती हो गई । और आप नाराज क्यों हो रहे हैं ? हम तैयार तो हैं आपकी लड़की को बहू बनाने के लिए" ।
"सोच लीजिए बात को बढ़ाने से आपकी बदनामी होगी । हमारे लड़के को सजा दिलवाकर आपकी लड़की पर लगा हुआ दाग धुल तो नहीं जाएगा"।
"वैसे भी क्या कमी है हमारे लड़के में इतना अच्छा खानदान ....."
"क्या कमी है आपके बेटे में ....? अरे आपका बेटा बलात्कारी है।"
"हां पर मैं इस लड़की को बहुत प्यार करता हूँ। मैं नहीं चाहता था कि वह किसी और की पत्नी बने । इसीलिए मैंने ऐसा किया"।
"मतलब किसी लड़की का बलात्कार इसलिए जायज हो जाता है, क्यो कि आप उसे पसंद करते हैं ? उस को मजबूर करना कि वह आपसे ही शादी करें क्या सही है ? अगर लड़की लड़के को पसंद नहीं करती है तो क्या लड़के ऐसी गलत हरकत करेंगे ? और कैसे मान लिया कि वह जिंदगी में इन लम्हों को भूल कर आपको प्यार और इज्जत दे पाएगी ? क्या आपके पास लड़की का प्यार पाने का कोई अन्य विकल्प नहीं था"।
" मैं चाहता तो इस बात से मुकर भी सकता था । उसकी जिंदगी तबाह, बर्बाद हो जाती। पर मैं खुद तैयार हूँ ना उससे शादी करने के लिए।
"कितनी मजे की बात है कि आपने गुनाह किया है और आपको उस गुनाह का इनाम भी चाहिए"।
"पर मैंने और लड़कों की तरह उस पर तेजाब तो नहीं डाला ना"।
ओह तो क्या इस बात के लिए हर लड़की को लड़को का शुक्रगुजार होना चाहिए ? और उसकी आत्मा पर डाला गया तेजाब क्या उसे जीने देगा" ?
"मेरा प्यार है ना, सब कुछ भुलाने के लिए ....."।
"किस प्यार की बात कर रहे हो ? प्यार पर इतना ही भरोसा होता तो यह दुष्कर्म नहीं करते"।
" चले जाओ यहां से, आपको आपके लड़के को इसका दंड तो हम अवश्य दिलवाएंगे"।
"सोच लीजिए हमारे लड़के को सजा दिलवाकर आपकी लड़की भी बदनाम हो जाएगी। मेरे लड़के से विवाह के लिए ना बोल देंगे तो आपकी इस अपवित्र लड़की से शादी कौन करेगा "?
"शादी एक सामाजिक व्यवस्था है, जीवन की अनिवार्यता नहीं" ।
"मुझे मेरी पवित्रता का सबूत देने के लिए अगर एक अपवित्र लड़के से शादी करने पड़े तो यह विवाह मुझे मंजूर नहीं"।
"अपवित्र मेरी बेटी नहीं, अपवित्र है आपका लड़का, उसकी सोच दूषित है। मेरी बेटी है कोई अहिल्या नहीं कि बिना किसी गलती के वह पत्थर बन कर समाज से निष्कासन का श्राप झेले"।
"पवित्रता का मापदंड दोनों के लिए होना चाहिए । जब मेरी बेटी की कोई गलती नहीं है तो मैं उसे अपने आप को अपवित्र नहीं मानने दूँगा"।
"कुत्ते के काटने पर इंजेक्शन इंसान को लगता है पर इसके लिए इंसान कुत्ते के साथ रहना तो शुरू नहीं कर देता ना"।
इतना कहकर लड़की और उसके मम्मी पापा ने लड़के और उसके परिवार वालो को घर से बाहर निकल दिया ।
मम्मी पापा के साथ के कारण लड़की के चेहरे पर पवित्रता का अलौकिक तेज था। वह बेचारी बलात्कार पीड़िता नहीं थी । उसे अहिल्या नहीं बनाना। वह नारी है, शक्ति पुंज है, ज्वाला है जो हमेशा पवित्र होती है।