Shreeya Dhapola

Others

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Shreeya Dhapola

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मेरी प्यारी ज़िन्दगी

मेरी प्यारी ज़िन्दगी

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तू कैसी है? ठीक है ना..तूने कई बार दस्तक दी मेरी दहलीज पर, मैं पागल अपनी ही दुनिया में मायूस बैठी थी । जो चले गए उनको याद कर चार दिवारी के भीतर खुद को कैद कर चुकी थी। मौसम बीतते चले गए .. बहार अपने संग ख़ूबसूरती भी लाई । पर मैं तो दुनिया की चकाचौंध को ही खूबसूरती समझ बैठी थी , अपने आस पास की खूबसूरती से दूर मैं बस चार दिवारी में अपने एकाकीपन संग बैठी रहती थी। वो अलग बात है कई हमदर्द थे पर दर्द के बदले बस मखौल का ही सौदा करते थे । तेरी दस्तकों से अंजान ज़िंदगी , कानों में बस झूठे बोल बसे थे ।मगर देर आए दुरुस्त आए ज़िंदगी , खुद को खोकर खुद को वापस पाना आसान नहीं है ज़िंदगी । मगर तू साथ है तो ये सफ़र खुशनुमा ही रहेगा , बस साथ बनाए रखना ज़िंदगी ।


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