Abishake mandhania

Romance Tragedy Fantasy

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Abishake mandhania

Romance Tragedy Fantasy

सफर प्यार का

सफर प्यार का

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आज मैं कोलेज के तीन साल बाद आज अपने दोस्त की बहन की शादी में शामिल होने के लिए सीकर सहर जाना था।

मैं अपने दोस्तों के साथ राजस्थान के ही जिले श्री गंगानगर से ही ट्रैन में चढ़े क्योंकि यह हमारे गांव से थोडी दूर ही था।

मेरे दोस्त पिछले डिब्बे में बैठे थे लेकिन मेरी सीट अगले डिब्बे में थी।

मैं जाकर अपनी सीट पर बैठ गया मेरी सीट खिड़की के पास थी ।

मैंने देखा कि मेरे सामने एक लड़की बैठी थी। मैंने उसे देखते ही पहचान लिया।

वो कोई और नहीं बल्कि मेरा पहला प्यार थी।

हम दोनों एक ही स्कूल में पढ़ते थे और एक दूसरे के अच्छे दोस्त थे।

फिर हमने एक ही कोलेज में दाखिला ले लिया और वहां हमारी दोस्ती प्यार में बदल गई।

भले ही हमने एक दूसरे को कुछ नहीं कहा था पर दोनों एक दूसरे के हो चुके थे।

कोलेज खत्म होने के बाद वो आगे की पढ़ाई के लिए पंजाब से राजस्थान के बिकानेर शहर में मास्टर डिग्री के लिए चली गई।

मैं भी कोलेज खत्म होने के बाद शिवल सर्विस मे व्यस्त हो गया था और मेरा ट्रांसफर कानपुर हो गया कुछ दिन पहले ही मैंने अपना ट्रांसफर पंजाब में करवाया है उसके बाद हम दोनो आज तीन साल बाद मिलें हैं।

वो अपने फोन में ही देख रही थी तो मुझे लगा कि शायद

इसने मुझे देखा नहीं पर उसने मुझे देख लिया।

मेने हिम्मत करके पूछा हेलो तुम नंदिनी हो ना

तो उसने कहा हां और तुम सक्षम हो ना मैंने हां में सिर हिलाया।

उसने कहा क्या तुम भी बिकानेर जा रहे हो तो मैंने बताया कि मैं अपने दोस्तों की बहन की शादी में जा रहा हूं।

मेरी जेब मे पडा फोन अचानक से बजने लगा मैंने अपना फोन निकाल कर हा माँ कहते हुए वहाँ से बाहर की तरफ निकल गया थोड़ी देर बाद मै अपनी सीट पर बैठ गया कुछ देर बाद बात करने के बाद

मैं अपनी सीट से उठकर उसके पास जाकर बैठ गया और बोला

साॅरी वो माँ का फोन था वो मेरे सुसराल मे कुछ प्रोब्लेम हो गई तो वह मेरी आंखों में देखते हुए बोली किस से हुई है आपकी शादी तो मैंने कहा अपनी सर्विस से ।

इतना सुनते ही वो हंसने लगी और कहा तुम्हारी मजाक करने की आदत गई नहीं मैं तो डर गई थी। कि तुमसे शादी करके किसकी किस्मत फुट गयी

तो मैंने कहा माँ ने मेरे लिए एक लड़की देख रखी है मुझे भी वो लड़की बहुत पसंद है मैंने इतना ही कहा था कि नंदिनी ने मेरी कालर पकड़ कर खुद के नजदीक करते हुए कहा ऐसा सोचना भी मत वरना इतना कहकर वो दूर हो गई

तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और बोला क्या तुम मुझसे शादी करोगी तो वो कुछ नहीं बोली तो मैंने कहा ठीक है तो फिर मां ने मेरे लिए जो लड़की देखी है मैं उसे हां कर देता हूं तो वो जल्दी से बोली नहीं मैं तैयार हूं।

इतना सुनते ही मैं हंसने लगा। यह देखकर वो चीड़ गई और बोली अच्छा तो यह तुम्हारी चाल थी हां करवाने की

वो गुस्से में और भी ज्यादा सुंदर लग रही थी।

ऐसे ही हम बातें करते करते सीकर पहुंच गए और नीचे उतर कर मैंने उसे देखा और अपने दोस्तों के साथ चला गया।

नंदिनी भी आज बहुत खुश थी क्योंकि उसे उसका सक्षम जो मिल गया था ।

मैं अपने दोस्तों के साथ अनिल के घर पहुंच गया और आराम करने के लिए अपने कमरे में चला गया मैंने जैसे ही अपनी जेब में हाथ डाला तो उसमें एक कागज पर नंदिनी का पता लिखा था यह देखकर मैं बहुत खुश हुआ

और अनिल की गाड़ी लेकर लेकर नंदिनी के पास चला गया और कुछ समय नंदिनी के साथ बिताया और वापस लोट कर अनिल के घर आ गया ।

अगले दो दिनों तक शादी में व्यस्त होने के कारण मैं नंदिनी से मिल नहीं पाया ।

अगले दिन मुझे पंजाब के लिए निकलना था क्योंकि मेरी ड्यूटी पंजाब में थी।

मैं उससे मिलने गया तो उसे यह जानकर दुःख हुआ कि मैं वापस लोट रहा हूं रूकना तो मैं भी चाहता था लेकिन मुझे जाना होगा।

मैंने कहा तुम अपनी पढ़ाई पूरी करने जैसे ही वापस आओगी मैं तुमसे शादी करूंगा ।

मैं इतना बोल कर चला गया और नंदिनी ने दिन रात मेहनत की और पूरे कालेज में पहले स्थान पर आकर अपनी डिग्री पूरी की।

जैसे ही मुझे पता चला मैं भी छूट्टी लेकर घर आ गया और अपनी मां को नंदिनी के बारे मै बताया तो मेरी माँ उनके घर रिश्ता लेकर गई उसकी मां और पापा मान गए और नंदिनी के पिता जी से बात करके दोनों की शादी करवा दी ।

इस तरह हम दोनों दोस्ती से प्यार और प्यार से शादी के बंधन में बंध गए।

अब हमारा दिल से दिल तक का सफर तय हो गया।


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