Abishake mandhania

Romance Action Inspirational

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Abishake mandhania

Romance Action Inspirational

फौजी की प्रेम कहानी

फौजी की प्रेम कहानी

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दीक्षा तू मुझे छोड़कर ऐसे नहीं जा सकती हो कि दीक्षा मेरी बात तो सुनो यही सपनों में जो पिछले 4 सालों से सैंसुइ सोने नहीं देता गाड़ी के रोने की आवाज सुनकर मेरा ध्यान टूटा तो मैंने देखा मैं आज 4 साल बाद पर उसी शहर के स्टेशन पर खड़ा था जिस शहर को मैं आज से 4 साल पहले छोड़ कर अपने दिल से इस शहर की सारी यादें निकाल कर यहां से चला गया था कुछ साल पहले लिए शहद है जो किसी जन्नत से कम नहीं लगता था लेकिन 4 साल पहले मेरी इस शहर के कुछ कड़वी यादें जुड़ गई जिन्हें मैं कभी भुला नहीं पाया था कभी राकेश आकर मेरे सामने हाथ मिलाते हुए कहां सर हम पहुंच गए मैंने अपना हा में सिर हिलाया और अपना समान लेकर गाड़ी से नीचे उतर गया राकेश ने फिर से कहा सर अब हमें आगे जाने के लिए यहां से बस पकड़ कर अपने गांव के लिए जाना होगा मैंने हमें सिर्फ लाया स्टेशन से निकलते समय उसकी नजर स्टेशन मास्टर के दफ्तर पर पड़ी मैंने राकेश से कहा तुम लोग निकलो मैं कुछ देर में आता हूं राकेश अपने सभी दोस्तों के साथ गांव के लिए निकल गया मेरे कदम तेजी से मास्टर के केबिन की तरफ बढ़ने लगे स्टेशन मास्टर की सीट पर लगभग 30 साल का एक आदमी बैठा हुआ था मैंने उनसे पिछले स्टेशन मास्टर के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि उनका तो पिछले महीने ही देहांत हो गया था यह बात मेरे लिए किसी सदमे से कम नहीं थी मैंने किसी तरह खुद से और संभाला और वहां से बाहर निकल गया बाहर आकर मैं एक बेंच पर बैठ गया आज मेरी आंखें फिर से नम हुई थी मै अपनी पुरानी यादों में खो गया जब मैं पहली बार सीकर शहर आया तो किसी ने मेरी जेब से मेरे पैसे निकाल लिए थे का स्टेशन मास्टर जी ने मेरी बहुत सहायता की थी यही सब बातें सोचते सोचते कब दोपहर शाम में बदल गई फिर मैं धीरे धीरे चलते हुए बस स्टैंड पर पहुंच गया हरदयालपुर को जाने वाली बस में बैठ कर मैं राकेश के गांव हरदयालपुर पहुंच गया मुझे वहां पहुंचने में कोई दिक्कत नहीं हुई क्योंकि मेरा सारा सामान राकेश पहले ही अपने साथ मैं आया था राकेश के घर पहुंचते ही राकेश मुझे मेरा कमरा दिखा दिया जो कि टेरिस पर बना हुआ था राकेश को अच्छी तरह से पता था कि मुझे शोर शराबा बिल्कुल भी पसंद नहीं है इसलिए उसने मुझे टेरिस वाला कमरा ही दिया था टेरिस पर बैठकर अपनी डायरी में कुछ लिख रहा था तभी पीछे से एक आवाज आई एक्सक्यूज मी मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो एक लड़की जिसकी हाइट लगभग 5 फुट 6 इंच गोरा रंग करले मुलायम बाल हिरनी जैसी गहरी आंखें चांद सा सुंदर चेहरा वह लाल रंग के पटियाला सूट में किसी परी से कम नहीं लग रही थी उसके उसने अपने हाथों में चाय का कब पकड़ा हुआ था उसे देखते ही मेरी आंखें सख्त हो गई क्योंकि वह कोई और नहीं बल्कि दीक्षा थी जिसे मैं 4 साल पहले पागलों की तरह प्यार करता था मैंने एक नजर उसे देखा और फिर अपनी नजरें अपने डायरी पर कर कुछ नहीं कहा वह कुछ देर तक ऐसे ही खड़ी रही उसे खुद का ही हूं इग्नोर होना अच्छा नहीं लगा और वह रोते हुए वहां से जाने लगी उसके आंसू देख कर मेरा दिल बेचैन हो उठा मैंने उसके हाथ को पकड़ा और उसके हाथों से चाय लेकर एक तरफ रखी और उसकी आंखों से आंसू साफ करने के लिए उसे छुआ तो उसके शरीर में एक सिहरन सी दौड़ गई लेकिन उसने छूटने की कोई कोशिश नहीं की जैसे ही मुझे 4 साल पहले की बातें याद आई मैंने उसे छोड़ दिया और वहां से अपने कमरे की तरफ चला गया यह देख कर दीक्षा की आंखें नम हो गई और वह वहीं बैठ कर रोने लगी पता नहीं रोते-रोते कब उसकी वही नींद लग गई मैंने उसे ऐसे सोते देखा तो तो मेरा दिल पसीज गया ना चाहते हुए भी मेरे कदम की तरफ बढ़ गए उसकी आंखें रोने की वजह से थोड़ी सी शूज गई थी उसके रेशमी बाल उसके चेहरे पर आकर उसे परेशान कर रहे थे मैंने धीरे से उसके बालों को पीछे किया और उसके चेहरे में कहीं खो सा गया 4 साल पुरानी बातें ना कर आज दिल फिर से बगावत पर उतर आया था मेरी नजर उसके गुलाबी होठों पर पड़ी और पता नहीं कब मेरे होंठ उसके होंठों से जा मिले अपने होठों पर हलचल महसूस होने पर जैसे ही उसने आंखें खोली तो उसकी आंखें हैरानी से बड़ी हो गई उसने मेरी तरफ देखा तो हमारी नजरें आपस में टकरा गई दीक्षा ने तुरंत अपनी नजरें झुका ली और आंखें बंद कर ली थोड़ी देर बाद जब मैं उससे अलग हुआ तो वह मेरे सीने से लग कर जोर जोर से रोने लगी मैंने किसी तरह से शांत करवाने की कोशिश की और वह शायद आज रोक कर अपने दिल को हल्का कर लेना चाहती थी मैंने उसे अपनी बांहों में उठाया और कमरे में ले जाकर बेड पर सुला दिया जैसे ही मैं वहां से जाने लगा तो मुझे महसूस हुआ दीक्षा ने मेरा हाथ कसकर पकड़ रखा है जैसे अगर उसने एक पल के लिए भी मुझे छोड़ा तो मैं कहीं भाग जाऊंगा और फिर शायद कभी ना वापस लौटूंगा मैं धीरे से उसके पास बैठ गया था दीक्षा ने रोते हुए कहा क्या तुम मुझसे आज भी नाराज हो तो मैंने कुछ नहीं कहा तो इससे दीक्षा चीड़ गई और कहां तुमने सिर्फ यह देखा कि मैंने क्या किया लेकिन क्या कभी तुमने जानने की कोशिश की उन्होंने ऐसी क्यों किया उसकी बातों से दर्द साफ झलक रहा था मैंने उसके आंसू साफ करते हुए कहा नहीं मैं तुमसे बिल्कुल भी नाराज नहीं हूं क्योंकि दीक्षा को शांत कराने के लिए इससे अच्छा कोई तरीका नहीं था दीक्षा ने आगे रोते हुए कहा मेरी मां मुझे बचपन में ही छोड़कर चली गई थी फिर मेरी सौतेली मां ने मुझे बचपन से आज तक दर्द के सिवा कुछ नहीं दिया तुमसे मिलने के बाद मैं कहीं ना कहीं इस दर्द को भूलने लगी थी तुम्हारे साथ प्यार और दोस्ती ने मुझे जीने के लिए एक नई राह दिखाई थी लेकिन जैसे ही इस बात का पता मेरी सौतेली मां को चला तो उन्होंने तुम्हें जान से मारने की धमकी देकर मुझे तुमसे दूर रहने के लिए कहा और वो मुबंई के सबसे बड़े आदमी सिद्धांत सिघानिया के साथ मेरी शादी करवाना चाहती है लेकिन अब मैं तुमसे और दूर नहीं रह सकती प्लीज मुझे यहां से ले चलो इतना सुनते ही मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया था दीक्षा में फिर रोते हुए कहा मैं अपने घर भागकर यहां आई हूं मैंने जो भी से उसे अपने सीने से लगा लिया और कहा तुम चिंता मत करो तुम सिर्फ मेरी थी मेरी हो और मेरी ही रहोगी हम लोग कल ही यहां से निकलने वाले हैं दीक्षा को ऐसे ही उसकी बांहों में ही नींद आ गई लेकिन मेरी आंखों में बिल्कुल भी नींद नहीं थी अगले दिन शादी की रस्में खत्म होने के बाद मैं दीक्षा को लेकर वापस मुंबई के लिए निकल पड़ा राकेश और बलि के साथ वही रुक गया| मैंने अपने दोस्त से कहकर दीक्षा की माँ को जेल भेज दिया जब यह बात सिद्धांत को पता चला कि दीक्षा अपने घर से भाग गई है तो वो गुस्से से तिलमिला उठा उसने अपने आदमियों को दीक्षा को ढूंढने के लिए लगा दिया था।  

मैं दीक्षा को लेकर अपने बडे़ से बंगले के सामने पहुँच गया गार्ड ने दरवाजा खोला और अंदर की तरफ बढ़ गया दीक्षा इतना बड़ा घर देखकर हैरान थी मैं दीक्षा को लेकर एक कमरे में चला गया ऐसे ही कुछ दिन बीत गए राकेश और बलि भी वापस मुंबई आ गए सिद्धांत को पता था कि दीक्षा हो ना हो दीक्षा मेरे घर पर है उसने अपने एक आदमी को मेरे घर पर नौकर बनाकर भेजा हुआ था जैसे ही सिद्धांत को चला कि दीक्षा मेरे घर पर है तो उसने दीक्षा को पाने के लिए खुद को मौत के खेल में उतार दिया और एक दिन मौका देखकर उसने दीक्षा को किडनैप कर लिया था जब मुझे चला तो मैंने जल्दी से राकेश को फोन किया और दीक्षा की लोकेशन पता करो थोड़ी ही देर में राकेश को दीक्षा की लोकेशन का पता चल गया मैं राकेश और बलि को वहाँ के लिए निकल गया वहाँ खंडरों में सिद्धांत ने दीक्षा को कसकर पकड़ा हुआ था जैसे ही उसने दीक्षा को किस करना चाहा तो अचानक से एक गोली आकर उसके पैर पर लगी और वो नीचे गिर गया उसने मेरी तरफ देखते हुए कहा सक्षम रोये मैं तुम्हें जिंदा नहीं छोडूंगा इतना कहते ही उसने उसकी तरफ गन प्वाइंट कर के गोली चला दी लेकिन मैं बच गया तभी दीक्षा ने वही पड़ा एक गुलदस्ता सिद्धांत के सिर पर मार दिया और सिद्धांत वही बेहोश हो गया मैंने दीक्षा को अपनी गोद में उठाकर वहाँ से जाते हुए राकेश को कहा 

यह सारा कचरा साफ़ कर दो राकेश ने जी सर कहां और अपने काम पर लग गया उसने सिद्धांत को मारकर उसकी लाश को ठिकाने लगा दिया था..... 


वहां से जाने के बाद मैंने दीक्षा से शादी कर ली और इसी तरह से मेरा पहला प्यार मिल गया| 4 साल बाद दीक्षा चला कर बोल रही थी रिया और ध्रुव आपस में लड़ रहे थे तभी दीक्षा को देखकर रिया दौड़ते हुए हमारी तरफ आ रही थी तो दीक्षा ने कहा रिया धीरे चलो बेटा गिर जाओगी जहाँ रिया मासूम और भोली थी वही ध्रुव गुस्से वाला समझदार और सिरियस रहने वाला बच्चा था वो रिया को उसकी गलती के लिए उसे डांटता था वो प्यारे प्यारे बच्चे सच में बहुत ही सुंदर थे ध्रुव और रिया प्यार की निशानी थे। 

समाप्त



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