पापा, मम्मी तो सही कह रही हैं मगर आप भूल कर रहे हैं। पापा, मम्मी तो सही कह रही हैं मगर आप भूल कर रहे हैं।
आखिरी भेंट के बाद मैं सिद्धप्रभा को कभी नहीं देख पाया एक दूसरे के लिए जीते जी मर गए। आखिरी भेंट के बाद मैं सिद्धप्रभा को कभी नहीं देख पाया एक दूसरे के लिए जीते जी मर...
उनके अंदर कुछ दर्द है और वो बयान करना चाहती है, पर वो कर नहीं पा रही है। उनके अंदर कुछ दर्द है और वो बयान करना चाहती है, पर वो कर नहीं पा रही है।
शक का कीड़ा शक का कीड़ा
मैं वहीं खिड़की के पास बैठे-बैठे यही सब अंर्तद्वंद से लड़ते-लड़ते वहीं कब आँख लग गई कुछ पता नहीं चला... मैं वहीं खिड़की के पास बैठे-बैठे यही सब अंर्तद्वंद से लड़ते-लड़ते वहीं कब आँख लग...
वह सम्पूर्ण सृष्टि अथवा जीवन ड्रामा को समग्रता में देखता है। वह सम्पूर्ण सृष्टि अथवा जीवन ड्रामा को समग्रता में देखता है।