असली लुटेरा
असली लुटेरा
कभी अपनों ने हमें गैर बनाकर लूटा !
कभी गैरों ने हमें अपना बनाकर लूटा !
मैं उलझन में पड़ गया हूँ कि
आखिर मैं अपनों और गैरों में किसका चुनाव करूं ?
और दूसरी उधेड़बुन यह भी कि आखिर असली लुटेरा कौन है ?
अब तय हमें करना है कि आखिर लुटूं तो किससे ?
दोनों तरफ से हमें तो लूटना ही है।
अब हमें असली लुटेरा की पहचान करनी है !
वैसा लुटेरा जिससे लूट कर उसकी झोली भर दूं।
अब लूटना तो हमारा तय है !
मगर मेरे ज़ेहन में सवाल यह है कि आखिर किससे लुटाना है ?
किस पे लौटाना है ?