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Arunima Thakur

Abstract Inspirational

4.5  

Arunima Thakur

Abstract Inspirational

परियाँ

परियाँ

4 mins
447


मैं व्हाट्सएप का एक चैट ग्रुप हूँ। मैं आपको एक अनोखी कहानी सुना रहा हूँ। अब क्योंकि मैं ही अनोखा हूँ तो कहानी तो अनोखी होगी ही। मैं अनोखा क्यों ? क्योंकि मैं कोई पारिवारिक चैट ग्रुप नहीं हूँ, ना ही सामाजिक चैट ग्रुप, ना ही व्यवसाय से संबंधित लोगों का समूह। मैं तो कुछ परियों का समूह हूँ। परियाँ ..?हाँ होती है ना ...मुझे मालूम है । जरा दो मिनट रुकिए काव्या कुछ लिख रही है। तब से बीप की आवाज के साथ एक मैसेज आया जिसमें लिखा था, "हाय श्वेता तुझे याद है ना कल आँटी का बर्थडे है। रात को वीडियो चैट पर बात कर लेना और हाँ मैंने पार्टी का पूरा इंतजाम कर दिया है। तुनें जो ड्रेस आँटी के लिए भेजी थी वो भी आल्टर (सही नाप की) करवा दी हैं "। 

उधर से श्वेता ने मुस्कुराते हुये चेहरे और थंब्स अप का इमोजी भेजा और लिखा मम्मा के पसंदीदा केक का ऑर्डर उनकी पसन्द की दुकान पर कर दिया है। वह घर पर देकर जाएगा"। 


काव्या ने लिखा, "कोई नही, मैं जाकर के ले आऊँगी"। 


तब से शगुफा का संदेश आया, "सुनो विद्या ! अंकल का बीपी हाई हो गया था। अभी डॉक्टर को दिखा कर आई हूँ । अब ठीक हैं। तुम ऑफिस से आने के बाद बात कर लेना, दूसरी तरफ से कोई जवाब नहीं था । संदेश अभी सीन भी नहीं हुआ था।


 अब आपके मन में उत्सुकता जाग रही होगी कि यह सब हैं कौन ? और संदेश के द्वारा किन आँटी और अंकल की बात कर रही है ? वास्तव में आजकल की सामाजिक संरचना को देखते हुए सभी अभिभावक एकाकी जीवन बिता रहे हैं। बच्चों के होते हुए भी अकेले जीने को अभिशप्त है। वही पुरानी परेशानी, इतने सालों से जहां रहे वहां के लोगों का मोह छूटता ही नहीं है। बुढ़ापे में नई जगह जाकर दोस्त बनाने की हिम्मत नहीं होती है। संक्षेप में कहें तो आजकल के बुजुर्ग अपना शहर छोड़कर बच्चों के पास रहने नहीं जाना चाहते । सबसे बड़ी बात तो, उनको लगता है यह उनका घर है। यहां पर वह मालिक है और बच्चों के घर में वह सिर्फ मेहमान है।


 ऐसी उनकी सोच होती है, पर यही सोच उनको बच्चों से दूर कर देती है। तो इस समस्या का कुछ हल तो होना ही चाहिए। जिससे अभिभावक अकेलापन भी महसूस ना करें और बच्चे उनके लिए चिंतित भी ना रहे। तो हमारी कुछ परियों ने मिलकर एक ऐप बनाया। जिसमें वह सब अपने घर का पता, अपने मम्मी पापा का विवरण भर देते हैं। अब जैसे आज-कल के माता-पिता अपना घर नहीं छोड़ना चाहते पर नौकरी के लिए लगभग हर बच्चे को अपना घर, अपना शहर छोड़ना पड़ जाता है । नई जगह जाकर के किराए पर घर लेकर रहना पड़ता है। खुद बनाओ, खुद खाओ और सबसे बड़ी बात तो लड़कियों को सुरक्षा की समस्या भी होती है। इन परियों के बनाए ऐप में खास बात यह है कि यह एक दूसरे के घर में जाकर एक दूसरे की जगह ले लेती हैं, पेइंग गेस्ट बनकर, किराएदार बनकर । इस तरह से माता-पिता अकेले भी नहीं होते हैं, बच्चों को भी बुजुर्गों का सहयोग मिल जाता है ।और सबसे बड़ी बात एक अनजान के साथ रहने की आदत पड़ जाती है। तो बाद में जब शादी होकर बहू घर पर आती है तो उसके साथ उनका व्यवहार सामान्य होता है। क्योंकि अब तक उन्हें अपने साथ एक अनजान लड़की के रहने की आदत पड़ चुकी होती है।



वहीं दूसरी ओर लड़कियों को भी दूसरे के माता पिता को संभालने, उनको समझने उनका आदर करने की आदत पड़ती है। वैसे भी कहते है, बच्चे सबके साझे होते है।


 इस ऐप के जरिए ही जब काव्या की नौकरी इस शहर में लगी तो उसने श्वेता के घर पर रुकने का निर्णय लिया। इसी तरह से शगुफा किसी शहर में विद्या के घर पर रहती है। विद्या भी किसी शहर में किसी के घर पर रह रही होगी। वैसे तो किसी भी शहर में कोई भी कहीं भी किराएदार या पेइंग गेस्ट की तरह रह सकता है। पर इन परियों ने यह निर्णय लिया है कि वह जहां पर भी रहेंगीं, वहां के बुजुर्गों के साथ अपनेपन से रहेंगीं। उनकी सारी जिम्मेदारी उठाएंगीं। यह परियां अविवाहित लड़कियां भी है, किसी की बहुएं भी हैं। अगर सभी लड़कियां और लड़के एक दूसरे के माँ-बाप को अपनी जिम्मेदारी समझ कर रहें तो बुजुर्गों को अपना शहर छोड़ कर जाना भी नहीं पड़ेगा और उनका एकाकीपन भी दूसरे बच्चों के साथ दूर हो जाएगा। 


अच्छा विचार है ना ? हाँ भाई परियाँ है विचार तो अच्छा ही करेंगीं ना । मैं तो इन परियों को दिल से दुआएँ देता हूँ। आप भी दुआ कीजिए कि यह परियाँ हर एक की जिंदगी में हो तो हर एक कोई बुजुर्ग व्यक्ति एक अच्छा जीवन यापन कर सकता है।


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