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Sudha Sharma

Comedy

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Sudha Sharma

Comedy

आपसी समझौता

आपसी समझौता

2 mins
7



कोई तो हो साधन,हम  हृदय में बस जाएं।

लोगों से प्यार मिले, स्मृति पटल पर छा जाएं।।


चलो हम  भी प्रसिद्धि पावन रस है चूमते ।

साधन न अन्य कोई साहित्य आंगन झूमते ।


समझौता  आपको कुछ हमसे करना यूं है ।

 जैसी भी हो रचना वाह वाही जड़ना है।।


 तुम मेरी प्रशंसा से  कभी  मुंह न मोड़ना ।

 रचना की शान में कसीदे गढना  न छोड़ना ।।


  करता हूं सच्चा वादा पूरा जोर लगाऊंगा।

  साहित्य यात्रा में चांद तारे जडाऊंगा ।।


 बेचारों को मिला इक साहित्य मंच बनाएंगे ।

उनकी  सुनेंगे अपनी कविता सुनाएंगे ।।


आयोजन का सिलसिला  अबाध्य जारी  करें ।

मंच की साझेदारी  निष्ठा से विभक्त करें ।।


सम्मान प्रदान करना बारम्बार तुम प्यार से।

 हम भी सवारेंगे  तुमको फिर जोर शोर से।।

 

साहित्य काफिला यूं ही सदैव चलता रहे ।

प्रसिद्धि का पावन ध्वज नित गगन चूमता रहे ।।


कभी श्रोता तुम बनो  कभी श्रोता हम बने ।

समझौते  टोटके से जमीन आसमान  हिले।।


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