अंधेरे कमरे में ज्योत जलाकर
अंधेरे कमरे में ज्योत जलाकर
अंधेरे कमरे में
हल्की सी ज्योत
जलाकर
तुझको याद करूं
मेरे जीवन में भरे
अंधकार में
तू मुझे एक उजाले की
किरण सा दिखे
बस ईश्वर से
यह प्रार्थना करूं
चारों तरफ
बस तू ही तू दिखे
तन के रोम रोम
मन मंदिर में दिखे
चांदनी भरी एक उम्मीद सा
दिखे
रात में
जुगनुओं के टिमटिमाते
जाल सा दिखे
दीवार पर पड़ती
परछाइयों के
एक प्रकाश फूंकते
अम्बार सा दिखे
सूरज में दिखे
चांद में दिखे
आसमान में दिखे
सारी कायनात में दिखे
सारे रोशनी के पतंगे
आज
मेरे मन के अंधेरे कोने में
सिमट आयें
फूल मुर्झा जाये
फिर भी
काला भंवरा फूल पर ही मंडराता दिखे।