एक अमृत के नारंगी अपने रस के रंग के पान सा ही
एक अमृत के नारंगी अपने रस के रंग के पान सा ही
अपनी देह से
रस बरसा दो आज
ऐ नारंगी रंग के
फूलों और फलों
भरपूर जीवन जी लिया अब तो
तुमने
मृत्यु के निकट हो
जाते जाते कर दो
इस संसार के जन जन का कल्याण
कर दो सबका उत्थान
दे दो उन्हें अपनी मृत्यु के बदले में जीवनदान
निचोड़ तो अपना रंग,
रूप, रस
सब कुछ मतलब कि
जो भी हो पास तुम्हारे
यह संसार छोड़ने से पहले
त्याग दो मोह माया
बांट दो अपनी खुशियां
अपनी सांसें भी
जीवन की यह धारा तुमसे ही तो
है
जीवित रखो इसे
जागृत रखो इसे
एक अमृत के नारंगी
अपने रस के रंग के
पान सा ही रखो इसे
टपका दो किसी निर्जीव के
मुंह में नारंगी रस के
मोतियों की धारा और
दिखा दो जाते जाते
उसे एक जीते जागते स्वर्ग की अनुभूति सा
अद्भुत अविस्मरणीय
नजारा।