कंचई नीले रंग के आसमान की लीला
कंचई नीले रंग के आसमान की लीला
नील गगन की
नीली छाया
नीला शामियाना
मेरे घर से दिखती
एक चहुं दिशा में फैली
विशाल छत सी
इसके ओर छोर का मुझे
कुछ नहीं है पता
नीले आकाश में उड़ते पंछियों की
कौन सी है राह
कहां इनका घर
क्या है दिशा
मैं अज्ञानी
मुझे कुछ नहीं ज्ञात
यह एक निवास स्थान है
ईश्वर का
एक विश्राम स्थली है
बादलों की
चांद की, सूरज की,
सितारों की
नीले आकाश में कभी
सफेद बादल के टुकड़े
तो कभी काली घनघोर
घटायें दिखती हैं
पतंगे भी डोर थामे उड़ती हैं
फिर कट कटकर आसमान से जमीन
की तरफ गिरती हैं
मैं भी उतर आती हूं
अपने घर की छत की
सीढ़ियों से नीचे
अपने आंगन में कि
आज के लिए इतना था
काफी
बहुत देख ली कंचई नीले रंग के आसमान की लीला
अपने घर की छत से
अब इस संसार के क्रियाकलापों से निपटते हैं।