धारा
धारा
अविचल अविरल बहती जाऊं
अनजाने थपेड़े सहती जाऊं
कितने राज छुपाती जाऊं
हर प्रलय को देखती जाऊ
तेरे आंसू को बहते देखूं
तेरी हंसी में हंसू
तुझे अपने में समेटे हुए बहती जाऊं।
अविचल अविरल बहती जाऊं
अनजाने थपेड़े सहती जाऊं
कितने राज छुपाती जाऊं
हर प्रलय को देखती जाऊ
तेरे आंसू को बहते देखूं
तेरी हंसी में हंसू
तुझे अपने में समेटे हुए बहती जाऊं।