गूँजने दो मौन का संगीत
गूँजने दो मौन का संगीत
गूंजने दो मौन का संगीत
थामकर विचार- मन्थन
और मन की उथल- पुथल
क्षितिज की तांबई आभा
को देखें बस अविकल
उन शांत लम्हों में
जब पड़े सुनाई
भोर की शहनाई -
सरसरा उठे पवन
लहरों में हो कम्पन
डाल- डाल फूट पड़े
कोयल का गीत
गूंजने दो मौन का संगीत !