कभी न कभी जीवन में आता बसंत
कभी न कभी जीवन में आता बसंत
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कभी न कभी जीवन में आता बसंत
मन की वादी में
फूलों सा विस्तार
हर दिन हर लम्हा
खुशियों का त्योहार
खुली हुई ऑंखों में अनदेखे सपने
खिलखिलाहटों में तरंगित उमंग
कभी न कभी.............
कहीं न कहीं, जीवन में
खिलता है कुंज
छितराती जाती उदासियों की धुंध
शैशव की परीकथा जैसी अनुगूंज
सीपी ज्यों पा जाए,
स्वाती की बूंद
बज उठे अनुभूतियों में
कोई जलतरंग
कभी..................