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Satish Chandra

Classics

4  

Satish Chandra

Classics

हम किसी के ना रहे, ना हमारा को

हम किसी के ना रहे, ना हमारा को

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हम किसी के ना रहे, ना हमारा कोई रहा , 

न वो वक्त रहा,ना ही वो मुस्कुराने की वजह

 हम तो यूँ ही निकल पड़े उम्मीदों की गठरी लिए न जाने किस मोड़ परवो मेरा इंतज़ार कर रहे होंगे।

जिस मंज़िल पर चलना था साथ, उनका न आना होगा अब मेरे साथ कभी सोचा ना था यूँ ही वो छोड़कर हमें अपनी रहा चलेंगे 

थक गया हूँ।अपने दिल को समझाते समझाते की कुछ वक्त और फिर हम उनके साथ हो जायेंगे, फिर न वो कभी जुदा हो कर जायेंगे 

फिर उनके बिछड़ने से निकले हर आंसू का बदला

उनसे मिलकर मुस्कान से लेंगे, 

इस दुनिया में न ही सही उस दुनिया में

फिर से तेरे बगियों का फूल बनकर महकेंगे 

बस कुछ वक्त की बात है ये अपने दिल को बतलाता हूँ। 


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