जिंदगी की ढलान
जिंदगी की ढलान
जिंदगी जब भी ढलान से उतरे
यही दुआ है शान से उतरे।
धीमी गति से ऊंचाई पर चढ़े थे।
बहुत संघर्षों से आगे बढ़े थे।
कैसे भी हो लेकिन ऊंचाई पर तो चढ़े थे।
अब देखो ढलान है पीछे
जिंदगी की गाड़ी फिसल रही है नीचे।
बिना संघर्ष के उतर रही है।
यूं लगता है जैसे बिखर रही है।
ऊंचाई तक चढ़ाई में छूट गया बहुत कुछ।
ढलान पर उतरते हुए अब दिखता ही नहीं कुछ।
परमात्मा के सहारे फिसल रही है।
परमात्मा ख्याल रखना अब शांति से उतरे।
जीवन में भले ही सब का हाथ छूटे।
पर ऐसा ना हो कभी कि आप हमसे रूठें।
शान से जिंदगी की ढलान से हम उतरे।
आकर तुम्हारे ही चरणों में हम बिखरें।