कुछ_मेरी_कलम_से
कुछ_मेरी_कलम_से
हमने तन्हाई में दीवार से बातें की है
अपनी सोई हुई तक़दीर से बातें की है।
तेरे दीदार की चाहत हो भी तो हो कैसे
हमने हर लम्हा ही तस्वीर से बातें की है।
क्या हमें ग़म ये सताएगा दगा दे कर के
अश्क़ आखों में लिए पीर से बातें की है।
लोग पूछा कि बता राज़ क्या हंसी का है
कह दिया खुद की ही तकदीर से बातें की है।
कितना आसां था तेरे हिज़्र में मरना जानां
फिर भी इक उम्र में तनवीर से बातें की है।
दिल की वो जाने उसे पास वफ़ा है या ना
हम ने दिन-रात नवासीर से बातें की है।
शिकवा-ए-जुल्मत-ए-शब से न है मतलब कोई
इश्कियां ख़ुद 'विशू' शमशीर से बातें की है।