क्यों आज ?
क्यों आज ?
क्यों आज गलियों में
क्यों आज गलियों में
सुबह धुल भरी है
आज अचानक गलियों
में सफाई बडी है
ओ देखो आज ही
खंबे के लाईट बदले है
अंधेरे कहाँ गऐ आज
तो दिवाली नही है
आज अचानक देखो
तोहफे बट रहे है
राशन की बंद दुकानों में
चावल बट रहे है
आज नेताजी
गर्दन झुकायें
सभी को नमस्ते
कर रहे है
अच्छा सच्चाई तो
अब समझ में है आई
चुनाव की है शेहनाई
दुल्हा बने नेताजी आये
मांगने हात वोटों का
देहज हमारी ही है पुंजी
जमा कि है हमने जो
कर के रूप में
वही खाते जो पांच साल
दे देते हे कुछ थोडा
जब बेहिसाब उनका हो जाता है पाप ..
आखिर मूह दिखाई नोटों की
या हो बोतल शराब की
या वायदा गरीबी मिटाने का
बस पडता है झोली में..