तेरे बिन सुब्ह ..मुझे रास नही
तेरे बिन सुब्ह ..मुझे रास नही
तुझ संग वो यादें..याद रही है
फैलाए बाहे.. राज कई है
तू ना है रौशन ..तो मैने रात कही है
खाली पैमाने..यहां बरसात नहीं है
तेरे बिन सुब्ह ..मुझे रास नहीं है
ठंडी रैना.. हथैली का ठिठुराना
छूना तेरा..छू के कतराना
हाथो में तेरे.. हा! मेरे हाथ वहीं है..
खाली पैमाने..यहां बरसात नहीं है
तेरे बिन सुब्ह ..मन रास नहीं है
में ना मानू ..जिदंगी तो तू ही है
जो तू छूटे..तो वो भी नहीं है
कैसा खुदाया.. जो इंसाफ नहीं है
मन जाना मेरी..जो अरदास कही है
खाली पैमाने..यहां बरसात नहीं है
तेरे बिन सुब्ह .. मन रास नहीं है
गर्दिश में जो.. तू मेरे साथ नहीं है
चंदा की भी..बिन चकोरी रात नहीं है
सांसों में फैला ..मेरा श्वास तू ही है
धड़क तू..धड़कन में..बात यहीं है
खाली पैमाने..यहां बरसात नहीं है
तेरे बिन सुब्ह .. मुझे रास नहीं है