नारी !
नारी !
कभी गर्भस्त्राव,कभी नेत्रस्त्राव..मनमें लिए अगूढ़भाव
छन से जलाए अपने पाव, सदा छलकाती शीतल छाव
तेरा ऋण रहेगा सदा, कण से रण क्या होता है अदा ?
महाशक्ति..महामाया, नारी तोह प्रेमपरायण अंतरभाव !
कभी गर्भस्त्राव,कभी नेत्रस्त्राव..मनमें लिए अगूढ़भाव
छन से जलाए अपने पाव, सदा छलकाती शीतल छाव
तेरा ऋण रहेगा सदा, कण से रण क्या होता है अदा ?
महाशक्ति..महामाया, नारी तोह प्रेमपरायण अंतरभाव !