Shakuntla Agarwal

Tragedy

4.6  

Shakuntla Agarwal

Tragedy

"अव्यवस्थाओं ने घेरा, खाटु नरेश मेरा"

"अव्यवस्थाओं ने घेरा, खाटु नरेश मेरा"

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बड़ी आरजू थी, दीदार के तेरे,

पल भर नयनों में भर लूँ , दातार मेरे,

सुनते हैं हारों का सहारा है तू ,

भर दे झोली मेरी भी, लखदातार मेरे।

जैसे ही दीदार करने चाहे, नजरों से नजरें मिली भी नहीं और पुलिस वाले ने धक्का दे दिया, चलो-चलो हो गये दर्शन। मन बड़ा मलीन हुआ की जिनके लिये इतनी दूर से चल कर आये हैं, उन्हें हम एक पल निहार भी नहीं सकते, क्या आम आदमी की इतनी ही औकात हैं, जब कि वी-आई-पी के नाम पर जो उन्होनें आगे की तीन लाईनों को खाली छोड़ रखा है, वहां भगवान के नाम पर गौरख धंधा चल रहा है। चन्द पुलिस कर्मी पैसे लेकर या अपने पहचानने वालों को वहाँ से भेेजते नजर आये और बची हुई लाईनों में अव्यवस्था ने पैर पसार रखे थे। भीड़ के कारण लोग धक्का- मुक्की कर रहे थे। तीन लाइनों का यूं बर्बाद होना भीड़ बढ़ाने का सबब बन रहा था।

ऐसा क्यों ? भक्तों के मन में एक ही सवाल उमड़ रहा था कि क्या आम आदमी की कोई औकात नहीं ? कम से कम बाबा के दरबार में तो गौरख धन्धे का ये खेल ना खेलों। श्याम प्यारे की नजर में ना कोई छोटा है, ना बड़ा, फिर ये पक्षपात क्य़ों ? जब कि हम भी खाटु नरेश के अनन्य भक्त हैं और वहां अक्सर जाते रहते हैं। वास्तव में ही "हारों का सहारा खाटु श्याम हमारा", उनका ऐसा पर्चा है वह सभी की मुरादें पुरी करते हैं, उनक़ी मान्यता दिन दुगुनी रात-चौगनी बढ़ती ही जा रही है, लाखों लोग़ों का वहां आना इस बात का प्रमाण है की लखदातार देने में कोई कसर नहीं छोड़ता। उसके दर पर जो आता है, मन-मांगी मुरादें पाता है, पर कुछ और अव्यवस्थाओं ने मेरा ध्यान खींचा।

पार्किंग की जगह बाहर बनी हुई है, पर कुछ लोग ही वहाँ पार्क करते नजर आये। पुलिसकर्मी पैसे लेकर या जानने वालों को गाड़ी सहित अन्दर भेज रहे थे और कुछ लोग इधर-उधर से गाड़ी अन्दर ले जा रहे थे, जिससे वहां जाम लग रहा था। बाजार की तंग गलियां, दूसरी तरफ गाडियों का ताता, पैदल चलने वालों को विघ्न पैदा कर रहा था। लोग आपस में भिड़ते नजर आये। कुछ भक्त निशान, कुछ फूल-माला और कुछ फूल की टहानियों के साथ थे। जगह-जगह लिखा हुआ था की निशान, टहनियों और मालाओं को कहाँ रखना है, परन्तु बाबा के निशान यहाँ-कहाँ पड़ते नजर आये। बाबा के सामने पहुँचते ही भक्त बाबा की तरफ फूल और मालायें फेंकते नजर आये, कुछ पहुंच रही थी, परन्तु ज्यादा पैरों से कुचलती नजर आई। आस्था का ये कैसा मंजर। उनका पैरों में यूँ रुन्द्धना मन को धूमिल कर गया। 

एक और मुद्दे ने मेरा ध्यान खींचा - मैंने देखा कुछ लोग अपना मोबाइल, कुछ पर्स, कुछ चैन टटोलते नजर आये, उनका ध्यान खाटु नरेश पर कम और अपने सामान पर ज्यादा था क्योंकि पुलिस की लापरवाही की वजह से कुछ गैंग वहां सक्रिय थे। थोड़ा चूकते ही सामान पर हाथ साफ कर रहे थे। लोगों की चिल्लाहट ने ध्यान अपनी तरफ खींचा। ये गैंग के गुर्गे ध्यान बटाकर सैकेंडों में माल पार कर रहे थे। लाखों लोगों का आना यह दर्शाता है कि भक्तों की खाटु श्याम में कितनी आस्था और विश्वास है, उस आस्था और विश्वास को बनाये रखने के लिए हमें और इन्तजाम करने होंगें। 



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