Shakuntla Agarwal

Tragedy

4.7  

Shakuntla Agarwal

Tragedy

"निर्णय"

"निर्णय"

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सुनीता कोमल की गोद में सिर रखकर रो रही थी| उसकी अविरल अश्रुधारा रुकने का नाम नहीं ले रही थी कि मैंने ऐसी क्या गल्ती कर दी, जो लड़की को ये कदम उठाना पड़ा। मेरे लाड़-दुलार में ऐसी क्या कमी रह गई थी ? उसकी सांसे धोकनी की तरहा चल रही थी| वह कोमल से कह रही थी - यदि खुदा ना खास्ता कुछ हो जाता, तो हम मुँह दिखाने लायक नहीं रहते। लड़की का जो हाल होता उस का तो भगवान ही मालिक है। यह तो ईश्वर की नियामत कहो की लड़कियाँ घर आ गई वो भी सुरक्षित। शायद मैने दूसरे बच्चे को पैदा करने के निर्णय में देरी कर दी। कोमल पहले के लोग सही वक्त रहते 2-3 साल के अंतराल से बच्चे कर लेते थे, जो साथ-साथ पल जाते थे। आज की युवा पीढ़ी अपने करियर और शारिरिक गठन की लालसा में अपने आने वाले भविष्य को नजर अन्दाज कर रही है। उसी का परिणाम है, जो आज मैंने भुगता, क्योंकि मैंने दूसरा बच्चा पैदा करने में 10 साल का अन्तराल जो कर लिया। उसी से बेेटी कामना को लगने लगा की हम, अपने बेटे विश को ज्यादा प्यार और तवज्जो दे रहे हैं। इसीलिय़े वह नये मां-बाप ढूंढ़ने निकल पड़ी, उस नादान को क्या पता यह दुनिया कैसी हैं? दरिन्दे नोंच खायेंगे और कहीं कोठे पर ले जाकर बिठा देंग़ें, ये तो हमारी किस्मत अच्छी थी,जो ये दोनों पुलिस को मिल गई| बच्चे देर से पैदा करने के भयंकर परिणाम भुगतने पड़ रहें हैं - आज की युवा पीढ़ी को। उसी की देन है - IVF परनाली , शरीर भी सत्यानाश, बच्चों में भी कमी। ये तो शुक्र है सांइस ने इतनी तरक्की कर ली वर्ना हाथ मलते ही रह जाते। मेरा यह मानना है की हमें समय रहते सचेत होना होगा, ऐसा ना हो हम भी दूसरे मुल्को की दौड़ में दौड़ने लगें।


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