भूल सुधार
भूल सुधार
आज अचानक मोहन को अपने सामने देखकर हैरानी हुई। वह आया और पैरों को छुआ और रो पड़ा। बड़ी हैरानी हुई कि जिस मोहन को दसवीं तक समझा-समझा कर थक गए , लेकिन उसकी शैतानियाँ कम न होती थी । समझ नहीं आता था कि कोई बच्चा इतना उद्दंड कैसे हो सकता है ! क्लास में पढ़ा रहे होते थे तो उसकी बातें चलती थी। जिस काम को भी मना करो उसे वह जरूर करना होता था। मर्यादा और उसकी पालना -ऐसी कोई चीज उसकी डिक्शनरी में कभी नहीं थी । अब तो सब टीचर उसके आदि हो चुके थे।
आज अचानक उसकी आँख में आँसू देख कर एकदम से सारी बातें भूल प्यार उमड़ आया । मैंने कहा ,"क्या बात है सब ठीक तो है?" बड़े प्यार से बोला ," मैम आपने हमेशा मुझे समझाया, मेरी गलतियों के बावजूद मुझे प्यार किया ।पर पता नहीं क्यों मैं कभी समझ नहीं पाया ।" " अभी कुछ दिन पहले मेरी उद्दंडता ने ही मुझे जिंदगी का सबसे बड़ा सबक सिखा दिया । मेरे दोस्त के जन्मदिन पर हम सब दोस्त पार्टी मना रहे थे और मैंने जोर से केक लेकर उसके मुँह पर लगाया । नहीं पता था कि मैं कितनी बड़ी बेवकूफी कर रहा था। उसने मुँह बचाने के लिए साइड में कर लिया और शायद जोर से लगाने के कारण केक उसके कान के अंदर चला गया। हफ्ते के बाद यह बात पता लगी जब उसके कान का दर्द असहनीय हो गया। फंगल इंफेक्शन के कारण कान का दर्द ठीक ना हुआ और उसे डॉक्टर के पास जाना पड़ा । यहाँ तक कि डॉक्टर ने बताया कि किसी चीज की चोट लगने की वजह से सूजन ही है।"
"आज अपनी बेवकूफियों के कारण अपने दोस्त से नजर नहीं मिला पा रहा हूँ । उसके जन्मदिन पर सब मर्यादा भूल कर मैंने मस्ती मस्ती में ऐसा व्यवहार किया जो उसके लिए पीड़ादायक बन गया । आज मैंने महसूस किया कि हमें अपने गुरुओं के अपने से बड़ों की हर बात को मानना चाहिए। हर रिश्ते की एक मर्यादा होती है उसका पालन करना चाहिए।"
खुश थी कि आज मोहन सही राह पर आ गया है जब जागो तभी सवेरा कहकर मैंने उसे प्यार किया और कहा कि आप अपना जीवन कुछ इस तरह से बिताना की पिछली हर गलती को हर कर्म को भगवान माफ कर दें। वह खुश था और बोला मैं अब जाकर अपने दोस्त से माफी माँगता हूँ। अपनी भूल का सुधार करता हूँ। अब उसकी आँखों में चमक अधिक थी.....